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________________ समत्व की उपासना : सामायिक उ. प्र.120.सामायिक किसे कहते है? प्र.123. करेमि भंते में छह आवश्यक किस उ. जिस क्रिया से समता रूपी प्रकार अभिव्यक्त होते हैं? लाभ-आय की प्राप्ति होती है, उसे उ. 1. (करेमि) सामाइयं - सामायिक सामायिक कहते है। 2. (करेमि) भंते - चतुर्विंशति स्तव कम से कम 48 मिनट तक समस्त 3. (तस्स) भन्ते - वंदनक पापकारी प्रवृत्तियों का त्याग करके 4. पडिक्कमामि- प्रतिक्रमण आत्म कल्याण हेतु स्वाध्याय, ध्यान 5. अप्पाणं वोसिरामि- कायोत्सर्ग आदि कार्य करना. सामायिक 6. पच्चक्खामि - प्रत्याख्यान कहलाता है। प्र.124.तपागच्छ में करेमि भंते एक बार प्र.121.महाराजश्री! हमने लोगों के मुख ही बोला जाता है, फिर खरतरगच्छ में से सुना है कि 'सामायिक में यदि तीन बार क्यों बोला जाता है? व्यक्ति 48 मिनट से ज्यादा बैठता कोई भी प्रतिज्ञा सूत्र तीन बार दोहराया जाता है। करेमि भंते सत्र है तो दोष लगता है अतः 48 पापकारी कार्यों के त्याग का संकल्प मिनट पूर्ण होते ही सामायिक पार सूत्र है, अतः इसे तीन बार बोला लेनी चाहिये' इस कथन की सत्यता प्रकट करें। छोटी दीक्षा के समय तपागच्छ की सामायिक का न्यूनतम काल 48 परम्परा मे भी तीन बार करेमि भन्ते मिनट का एवं अधिकतम छह माह है, बोला जाता है। साधु की छोटी दीक्षा अत: उससे पहले पारने पर दोष हो अथवा श्रावक की 48 मिनट की लगता है पर बाद में पारने पर नहीं। सामायिक, दोनों का सामायिक वैसे ही जैसे चार माह का वाहन चारित्र कहलाता है। त्यागी यदि उससे अधिक समय तक प्र125. श्रावक की सामायिक कितने योग वाहन का त्याग करता है तो हानि एवं करण से होती हैं? नहीं होती, अपितु लाभ ही होता है। उ. मन, वचन तथा काया, ये तीन योग प्र.122.सामायिक लेने का सूत्र कौनसा कहलाते हैं। करना, करवाना एवं अनुमोदन करना, ये तीन करण उ. करेमि भंते। कहलाते हैं। * ** **** **************** जाता है।
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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