________________ हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति साधना की भूमिका में प्रवेश कर जाता है। 1. नवकार आदि किसी भी मंत्र प्रारंभ करने से आत्म रक्षा स्तोत्र से अपने शरीर के चारों तरफ सुरक्षा कवच का निर्माण करके शरीर की रक्षा करें ताकि जाप के समय कोई भी अनिष्ट शक्ति बाधक न बन सके। 2. माला को हाथ में ग्रहण करने से पूर्वं 'ऊँ नमो अरिहंताणं श्रुतदेवि प्रशस्तहस्ते फट् स्वाहा' इस मंत्र से हाथ की शुद्धि करें। 3. नवकार के अतिरिक्त पार्श्वनाथ, दादा गुरूदेव, नाकोड़ा भैरव, पद्मावती आदि किसी मंत्र को सिद्ध करने के पूर्व प्रथम दिन आत्मशुद्धि के प्रयोजन से मंगलकारी नवकारमंत्र की दस माला का तथा प्रतिदिन जाप को शुरू करने से पूर्व एक माला का जाप करें। इससे मंत्र सिद्ध होता (ii) ऊँ नमः सिद्धेभ्यः (iii)नमोऽर्हत्सिद्धेभ्यः (iv)ॐ श्रीं ह्रीं अर्ह नमः ये तीनों मंत्र मोक्ष फल देने वाले हैं। 5. नवकार ध्यान -' आठ पंखुड़ियों वाले श्वेत कमल का चिन्तन करके उसकी कार्णिका में नमो अरिहंताणं का ध्यान करें। फिर नमो सिद्धाणं आदि चार मंत्र पदों का अनुक्रम से कमलं की कर्णिकाओं की चारों दिशाओं में स्थिर चार पंखुड़ियों में तथा चार विदिशाओं की चार पंखुड़ियों में एसो पंचनमुक्कारो आदि चार चूंलिकाओं का चिन्तन करना चाहिये। इसे आप चित्र के माध्यम से जान सकते हैं। /पढम हवड पच IPIM नमक्कारा नमा लोए सव है। साहणं अरिहताणं आय ना In 4. मंत्र()असिआउसा नमः - इस पंचाक्षरी मंत्र के जाप से चिन्तित फल की प्राप्ति एवं भव भ्रमण की समाप्ति होती है। (FREE m