________________ जैन जीवन शैली *ION जैन दिनचर्या CORO0 श्रावक के तीन स्तर (1) प्रथम स्तर (i)नमस्कार मंत्र की नियमित जाप–साधना। (ii) प्रतिदिन नवकारसी का प्रत्याख्यान। (i) जिन मन्दिर-दर्शन-वंदन-पूजन। (iv) मद्य-मांस-शिकार आदि सप्त व्यसनों का परित्याग। (5) कन्दमूल (आलू-प्याज) आदि का निषेध / (2) मध्यम स्तर () कुलाचार, सदाचार और जैनाचार से अनुशासित जीवन-शैली। (ii)रात्रि भोजन एवं अभक्ष्य-भोजन का परित्याग। (iii) स्वाध्याय एवं सत्संग की अभिरुचि। (iv) बारह व्रतों की यथाशक्ति धारणा एवं अनुपालना। (V) प्रवचन-श्रवण एवं श्रमण-पर्युपासना में अहोभाव / (3) उत्तम स्तर (i) सचित्त का सर्वथा परित्याग / (ii) प्रतिदिन एकासन तपश्चरण | (ii) परिपूर्ण ब्रह्मचर्य का नियम / (iv) नीति और न्याय से धन का उपार्जन / (v) रात्रि में चतुर्विध आहार का त्याग / (1) प्रतिदिन आसन, जाप एवं ध्यान से मन का शुद्धिकरण / (2) पंच अभिगमपूर्वक प्रभु-पूजन / (3) सत्साहित्य के वांचन से आत्म पवित्रता का विकास / (4) सामायिक के द्वारा समत्व में अभिवृद्धि / (5) वाक्-शक्ति के लिये प्रतिदिन एक घण्टा मौन की उपासना / (6) गुरुजनों का वैयावृत्य, वंदना, सुपात्र दान एवं सत्संग / (7) माता-पिता के चरणों का स्पर्श, आज्ञा-पालन एवं सेवा–भक्ति / (8) प्रामाणिक एवं न्याय-नीति से जीवन का निर्वाह। (9) बारह भावनाओं से ममत्व का अल्पीकरण। (10) सोते समय सुकृत की अनुमोदना एवं दुष्कृत की आलोचना /