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________________ पर्व तिथि में करणीय एवं अकरणीय प्र.570. पर्व किसे कहते है? व्यक्ति विशेष रूप से वस्त्र व उ. पर्व यानि उत्सव, हर्ष का अवसर / आभूषण से सुसज्जित होकर जिन दिनों में आध्यात्मिकता एवं मिष्ठान्न ग्रहण करते हैं, आनंद आनंद में अभिवृद्धि होती है, उसे पर्व मनाते हैं, हर्षित होते हैं, उसी कहते है। प्रकार अलौकिक पर्व दिनों में प्र.571.पर्व कौन-कौनसे कहे गये हैं? विशेषतया धर्म आराधना करनी उ. 1. तिथि-आगमों में छह पर्व चाहिये। तिथियों का कथन किया गया 2. परमात्मा महावीर फरमाते है कि है-(1-2)शुक्ला-कृष्णा अष्टमी इन पर्वतिथियों में विशेषतः (3-4) शुक्ला-कृष्णा चतुर्दशी आयुबंध होता है अतः शुभायु बंध के (5) पूर्णिमा(6) अमावस्या। लिये आराधना की जाती है। वर्तमान में शुक्ल तथा कृष्णपक्ष की / 3. पर्व दिनों में किया गया पाप कई द्वितीया, पंचमी, अष्टमी; एकादशी गुणा अशुभ फल देने वाला है, एवं चतुर्दशी, जो दस पर्व तिथियाँ वैसे ही पुण्य भी उत्कृष्ट एवं शत प्रचलित हैं, उनका कथन गणधर गुणित होकर शुभ फल देता है। प्रवर श्री गौतम स्वामी द्वारा किया 4. जैसे योग्य अनुकूल ऋतु में गया है, ऐसी अनुश्रुति है। बोया गया बीज शीघ्र ही 2. कल्याणक-जिस दिन परमात्मा पल्लवित होता है, वैसे पर्वका कल्याणक हुआ हो, वह भी तिथियों में की गयी आराधना शीघ्र पर्वतिथि है। तथा विशेष फलदायी होती है। 3. अट्ठाई-आश्विन एवं चैत्र आदि 5. यथा उचित समय पर किया गया शाश्वती अट्ठाईयाँ भी पर्व स्वरूप अल्पाहार भी पुष्टि-तुष्टि प्रदायक होता है, उसी प्रकार 4. विविध पर्युषण पर्व, ज्ञान पंचमी, पर्वतिथियों की अल्पाराधना भी मौन एकादशी, चैत्री पूर्णिमा, महान् फल देने वाली होती है। कार्तिक पूर्णिमा आदि भी पर्व प्र.573. पर्व दिनों में क्या-क्या आचरणीय है? दिवस है। उ. 1. पौषधोपवास व्रत की महाराधना प्र.572.पर्वतिथि की महिमा क्यों गायी करना। गयी? 2. पौषध संभव न हो तो राइ-देवसी उ. 1. जिस प्रकार लौकिक पों में ___प्रतिक्रमण, सामायिक, सुपात्र **************** 239 ****************
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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