________________ सुनते हुए पापकर्मों का सर्वथा त्याग करें। इस महान् आराधना से श्रीपाल का कुष्ठ रोग नष्ट हो गया। (12) चैत्र सुदि त्रयोदशी- भगवान महावीर जन्म कल्याणक। (13) चैत्र पूर्णिमा - पाँच करोड़ मुनियों के साथ गणधर पुण्डरीक स्वामी सिद्धाचल तीर्थ पर मोक्ष पधारे। (14) वैशाख सुदि तृतीया-अक्षय तृतीया / वर्षीतप का पारणा। (15) आषाढ़ सुदि एकादशी-दादा श्री जिनदत्तसूरि पुण्यतिथि। जप-तप एवं ध्यान करके दादा का वात्सल्य प्राप्त करें। (16) आषाढ़ सुदि चतुर्दशी- चौमासी चौदस। चातुर्मास प्रारंभ। (17) श्रावण सुदि पंचमी श्री नेमिनाथ जन्म कल्याणक। (18) भाद्रपद सुदि चतुर्थी- संवत्सरी महापर्व / पर्युषण के आठ दिनों में हिंसा, झूठ आदि का सर्वथा त्याग करके स्वकल्याण का मार्ग प्रशस्त करें। पौषध, उपवास, मौन, जप, स्वाध्याय, प्रवचन श्रवण करें। पापप्रवृत्तियों पर पूर्णतया अंकुश लगाकर आठवें दिन मूल बारसा / सूत्र का सश्रद्धा श्रवण करें। संवत्सरी महाप्रतिक्रमण के पूर्व वर्षभर में कृत पापों की निंदा करते हुए परस्पर क्षमा का आदान-प्रदान करें। (19) आसोज सु.सप्तमी से पूर्णिमा आयंबिल ओली। (20) कार्तिक वदि अमावस- भगवान महावीर निर्वाण कल्याणक/ दीपावली पर्व। **************** 238 ******** * *