________________ गोदाम, खेत में आग लगाना, पॉवर सुगम बनाती हैं। हाऊस चलाना दवदान कर्म (3)विलासी (Luxurious)- वे वस्तुएँ कहलाता है। . जो जीवन में प्रमाद, विलास, अधर्म 14.जलशोषण कर्म- कुआँ, बावड़ी, एवं अनीति को आमंत्रित करती है। बांध, तालाब आदि का जल पहली बात तो यह कि पूर्वकाल में सूखाना, नहर का निर्माण करना पूणिया आदि श्रावक न्याय मार्ग से जलशोषण कर्म कहलाता है। जीवन चलाते ही थे। दूसरी बात 15.असती पोषण कर्म- शिकार कि यदि आप सच्चाई से जीवन निमित्त कुत्ते, बिल्ली, मुर्गी, तीतर को टटोलेंगे तो पायेंगे कि जीवन आदि का पालन करना, कसाई, में अधिकतर खर्च विलासिता से चमार के साथ व्यापार करना, सम्बन्धित हैं। यदि उन्हें जीवन से आजीविका हेतु से/ शौक के लिये निष्कासित किया जाये तो रोटीवेश्या, कुलटा, जुआरी, चोर का कपड़ा-मकान जैसी न्यूनतम पोषण करना असतीपोषण कर्म आवश्यकताएँ नीति मार्ग से कहलाता है। अवश्य ही पूर्ण की जा सकती है। उपरोक्त पन्द्रह प्रकार के व्यापार 'सादा जीवन उच्च विचार' करने की भगवान महावीर की (Simple Living High Thinking) को आज्ञा नहीं है। यदि. जीवन में स्थान दिया जाये प्र.557. महाराजश्री! यदि न्याय-नीति तो व्यक्ति के पास विलासिता एवं मार्ग से व्यापार करें तो जीवन ऐशोआराम के साधनों की कमी हो चलाना दुभर हो जाता है तो फिर सकती है पर शान्ति और सुख का हमें क्या करना चाहिये? अभाव कभी नहीं हो सकता। उ. वस्तुएँ तीन प्रकार की होती हैं- प्र.558. व्यवसाय में मुख्य रूप से किन (1)आवश्यक - जिनके बिना जीवन गुणों की अपेक्षा होती है ? चलाना ही दुष्कर हो जैसे - उ. अप्रामाणिकता, मिलावट, धोखा, घर, भोजन, कपड़ा आदि। चोरी, महारम्भ वाले व्यापार, अन्याय, (2)अनुकूल- वे चीजें, जो जरुरी तो अनीति, अधर्म, इन सभी पापों के नहीं है परन्तु जीवन यात्रा को सेवन में मुख्य कारण दो हैं - ***************** 226 ****************