________________ चलित रस का करें निषेध प्र.522. चलित रस किसे कहते हैं? आदि को लोग फ्रीज में रखकर दूसरे उ. जिन पदार्थों का वर्ण, गंध, रस बदल दिन उपयोग में लेते हैं, जो अत्यन्त गया हो, उन्हें चलित रस कहा जाता लज्जास्पद बात है। यदि पानी में हाथ भिगोकर लड्डू बांधे जाते हैं, तो वे भी इसके तीन प्रकार हैं- 1. रातबासी एक रात के बाद बासी हो जाते हैं। पदार्थ, 2. कुछ दिनों के बाद अभक्ष्य बासी पदार्थों में जीव हिंसा के साथ बनने वाले, 3. कुछ महिनों के बाद बीमारी के भी कारण है, जिसके अभक्ष्य बनने वाले। समाचार आए दिन अखबारों में छपते प्र.523. रात बासी पदार्थ क्यों छोड़ने हैं। धर्म, दया, स्वास्थ्य आदि चाहिये? दृष्टिकोणों से बासी पदार्थ सर्वथा उ. वे पदार्थ, जिनमें पानी का अंश रह त्याज्य है। जाता है, वे बासी पदार्थ कहलाते हैं। विवेकी को बासी भोजन न तो रखना उनमें उसी रंग के लालयक आदि चाहिये, न खाना चाहिये, न गाय असंख्य त्रस जीवों की उत्पत्ति हो आदि को खिलाना चाहिये। जाने से त्याज्य हैं। . प्र.524. महाराजश्री! इडली आदि का रोटी, पूड़ी, डोसा, पराठा, दाल- घोल कितने बजे भिगोया जा चावल, सब प्रकार की सब्जियाँ, सकता है? सुधारे हुए फल, रस, दूध की उ. . शुद्ध शास्त्रीय परम्परानुसार सूर्योदय मिठाईयाँ, गुलाब जामुन, श्रीखण्ड, के उपरान्त तथा अपवाद मार्ग से लापसी, इमरती, मालपुआ आदि नरम प्रकाश हो जाने के पश्चात् / अर्द्धरात्रि मिठाइयाँ, बड़े, समोसे, कोफते में 12 बजे के बाद भिगोया गया घोल इत्यादि नरम नमकीन, ये सब बासी और चना, मोठ आदि सूखी सब्जियाँ होते हैं। होटल-बाजार का खाना तो बासी ही होती हैं। लगभग बासी ही होता है। प्र.525. कुछ दिनों के बाद अभक्ष्य बनने आजकल जैन घरों में गूंथा हुआ वाले पदार्थ कौन-कौन से हैं? आटा, इडली- खमण आदि के घोल उ. सभी प्रकार की सूखी नमकीन, *********** *** 202 *** * ******