________________ उपयोगी बनाती है। का प्रकाश होता तो उससे मन्द / (iv)रात्रि में असंख्य जीवों की वर्षा जठराग्नि भी प्रदीप्त हो सकती / होने से एवं विषाक्त जंतु की लार (ii)x-Ray भी सूर्य के प्रकाश में ही आदि मिलने से भोजन विषाक्त हो होता है। जाता है, जिससे मृत्यु तक हो (iii)दिन के प्रकाश में लाईट चालू हो सकती है। तब जीव नहीं आते हैं जबकि रात्रि योग शास्त्र में लिखा है कि खाने को लाईट में प्रत्यक्षतः हम जीव में यदि देखते हैं। अब बताईये कि बिजली (1) चींटी आ जाये तो बुद्धि नष्ट के प्रकाश ने ज़ीवों को बुलाया कि हो जाती है भगाया? (2) जूं से जलोदर हो जाता है (iv)वीतरागी राग-द्वेष से मुक्त होने (3) मक्खी से उल्टी एवं मकड़ी से . से असत्य भाषण नहीं करते हैं। कुष्ठ रोग हो जाता है। (V)सुबह के नाश्ते को Breakfast (4) बाल से स्वर भंग, बिच्छु से तालु भेदन, कांटे से वेदना होती .. कहते है। Break- यानि तोडना। fast यानि उपवास / रात्रि में नहीं है। कदाच विषैला जंतु आ जाये खाया, उस त्याग (उपवास) का तो मृत्यु भी हो जाती है। पारणा करना। प्र.519. भगवान महावीर के समय लाईट प्र.520. क्या जैनेतर शास्त्रों में भी रात्रि नहीं थी, इसलिये रात्रि भोजन का भोजन का निषेध का किया गया मना किया गया है। आज तो लाईट के पर्याप्त प्रकाश में जीव उ. श्री हेमचन्द्राचार्य ने योगशास्त्र में ज्ञान हो जाने से रात्रि भोजन रात्रिभोजी को सिंग एवं पूँछ विहीन करना भला निषिद्ध क्यों? पशु की उपमा दी है। अनेक सूर्य प्रकाश और बिजली के प्रकाश पशु-पक्षी भी रात्रि भोजन नहीं करते को समान नहीं कहा जा सकता है है। इसलिये कहा गया - चिडी कमेडी कागला, रात चुगन न जाय। (i) यदि सूर्य-प्रकाश के तुल्य बिजली हे नरदेही मानवा, रात पड्या क्यों खाय? || उ. क्योंकि