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________________ छाछ) त्याज्य है। यदि गोरस गर्म सीताफल आदि। ये रस की किया हुआ हो तो द्विदल कच्चा हो या . लालसा को बढाते हैं। पक्का, उसमें चलता है। भोजन की 3. अज्ञातफल- जिस फल के गुण, थाली में भी ध्यान रखे कि दाल, कड़ी रूप- स्वरूप एवं नाम का परिचय आदि की कटोरी में छाछ आदि कच्चा न हो, उसे अज्ञात फल कहते है। गोरस नहीं लेना चाहिये। अज्ञात फल के कारण कभी-कभी प्र.513. परन्तु महाराजश्री! कच्चे दही, प्राणों से हाथ धोना पड़ता है। छाछ को उबाला जाये तो वह फट जैसा कि वंकचूल के पांच सौ चोरों जाता है, अतः क्या करें? के साथ हुआ था। उ. दही, छाछ में चावल का आटा (एक 4. फूलगोभी- इसके गुच्छों में उसी किलो में 50 ग्राम) डाल देने पर वर्ण के जीव होते हैं, उनकी अथवा कूकर में छाछ/ दही का पात्र जयणा न हो पाने से फूलगोभी रखकर एक सीटी ली जाये तो नहीं त्याज्य है। फटता है। 5. बहुबीज फल - जिस फल में प्र.514.जैन शास्त्रों में बैंगन, फूलगोभी, बहुत बीज हो, ऐसे खसखस, बैंगन तुच्छ फल, अज्ञात फल आदि आदि नहीं खाने चाहिये। त्याज्य क्यों कहे गये हैं? 6. अचार - आम, केर आदि के उ. 1. बैंगन- यह बहुजीव, त्रस जीवों अचार में तीन दिन के बाद से युक्त है तथा उत्तेजक, निश्चय ही जीवोत्पत्ति होने से वे विकारवर्द्धक तथा मन को अभक्ष्य हैं। केरी को धूप में अच्छी तामसिक बनाता है। शास्त्रों में तो तरह सूखाकर बनाया जाये तो वह * 'यहाँ तक कहा गया है कि बैंगन खाने योग्य होता है। खाने के उपरान्त व्यक्ति इतना प्र.515. अनार, टिण्डोरा भी तो बहुबीज बुद्धिभ्रष्ट हो जाता है कि माँ और वाले फल हैं फिर उनका पत्नी का भेद भी विस्मृत कर जाता उपयोग कैसे किया जा सकता है। 2. तुच्छ फल- जिसे खाने से तृप्ति उ. या शक्ति नहीं मिलती है, जिसमें खाने का कम और फैंकने का अधिक हो, उसे तुच्छ फल कहते हैं। जैसे-चणीबोर, पीलू, अनार, टिण्डोरा में बहुत बीज होने पर भी उसमें आन्तरे-आन्तरे में पड (पटल) होते हैं। इस कारण वे एक दूसरे के घात-नाश में कारण नहीं होते हैं जबकि खसखस,
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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