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________________ द्विदल अर्थात् पापों का दलदल प्र.509.द्विदल किसे कहते है? जीवों की उत्पत्ति होती है। इसके उ. जिसे पीलने पर तेल न निकले, भक्षण से जीव निश्चय ही दुर्गति में जिसके दो समान भाग हो, ऐसे मूंग, जाता है। मोठ, चना, उड़द, मैथी, मटर, मसूर, महाभारत में तो यहाँ तक कहां गया चौला, तुअर, चवला आदि कठोल के है-हे युधिष्ठिर! कच्चे गोरस के साथ कच्चा दही, छाछ खाने से साथ उड़द, मूंग, चने आदि का जिन जीवों की उत्पत्ति होती है, भक्षण करना मांस-भक्षण के उसे द्विदल कहते है। कठोल धान्य समान है। अखण्ड हो, उसकी दाल हो अथवा स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह अनुचित आटा हो, वह भी कठोल कहलाता है। है। आयुर्वेद आदि स्वास्थ्य शास्त्रों में खरतरगच्छ की परम्परा में सांगरी को इसे बीमारी एवं अपाचन का कारण भी द्विदल माना गया है। कहा गया है। प्र.510. मूंगफली, काजू, बादाम, पिस्ता प्र.512.भोज्य पदार्थों में द्विदल का ध्यान आदि के भी दो टुकड़े होते हैं तो किस प्रकार रखा जाये? क्या वे द्विदल नहीं कहे जायेंगे? उ. अहिंसक एवं दयालु व्यक्ति को नहीं, वे द्विदल नहीं है क्योंकि तीर्थंकर भोजन बनाते समय ध्यान रखना परमात्मा ने कहा है कि जिसे पीलने चाहिये कि कच्ची छाछ/दही में पर तेल न निकले, वह द्विदल है। बेसन आदि न मिलाये अपितु तीन काजू, बादाम, मूंगफली का तेल बार उबाल आने के उपरान्त ही निकलता है, जिसकी आप सभी को मिलाये। श्रीखण्ड, कच्ची छाछ, दही, जानकारी है ही। आदि के साथ भुजिया, मूंग मोगर की प्र.511.द्विदल खाने में कितना पाप दाल, दही बड़ा, खमण आदि नहीं लगता है? खाना चाहिये। स्वामीवात्सल्य आदि द्विदल में असंख्य (Uncountable) में इस बात का पूरा ध्यान रखना द्वीन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति होती है। चाहिये। संबोध प्रकरण में कहा गया है कि विशेष रूप से याद रखे- द्विदल द्विदल युक्त कच्चे गोरस (दूध, दही, भले ही गरम किया हुआ हो परन्तु छाछ) में पंचेन्द्रिय और निगोद के उसके साथ कच्चा गोरस (दही, उ
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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