________________ चौदह प्रकार के भी श्रोता कहे गये जैसा सुने, वैसा ही कहने वाला (15) हैं। . धर्म में अप्रमत्त (16) निंदा, विकथा, प्र.450. श्रोता के कितने गुण कहे गये हैं ? वाद-विवाद, कदाग्रह से मुक्त हो। उ. शास्त्रों में श्रोता के अपेक्षा भेद से प्र. 451. वक्ता के कितने गुण कहे गये हैं ? इक्कीस व चौदह गुण वर्णित हैं, कुल उ. चौदह गुण- (1) आगम अनुसार मिलाकर सच्चा श्रोता उसे कह सकते कहना (2) अर्थ का सम्यग् विस्तार हैं जो करना (3) वाणी में मधुरता (4) अवसर (1) बुद्धिमान (2) चिन्तक (3) धारक ज्ञाता (5) सत्यभाषी (6) संदेह (4) हेय, ज्ञेय व उपादेय का ज्ञाता (5) निवारक (7) ज्ञानी (8) सरल भाषी निश्चय व व्यवहार का ज्ञाता (6) (9)प्रवचन–प्रभावक (10) जिज्ञासाविनयी (7) श्रद्धालु (8) जिज्ञासु (9) समाधान करना (11) संतोषी (12) प्रवचन रसिक (10) सांसारिक सुखों निरभिमानी (13) शास्त्र उपयोगवान् की कामना से मुक्त (11) गुणग्राही (14) श्रोताओं को मुग्ध करना। (12) प्रियभाषी (13) गर्व रहित (14)