________________ सोना 12.हिंसायुक्त लिपिस्टिक, साबुन, 5. लोगों को मिथ्या-गलत उपदेश ___ क्रीम आदि प्रसाधन सामग्री का देना। उपयोग करना। 6. कर्म-बंध के कारणों को अच्छा प्र.345.अशाता वेदनीय कर्म क्षय के कहना, करना एवं उन्हें करने के उपाय बताओ। लिये प्रेरित करना। उ. 1. जयणा/यतनापूर्वक खाना, पीना, 7. जिनेश्वर देव,जिनमंदिर–प्रतिमासोना, उठना, बैठना आदि क्रियाएँ पूजा, साधु-साध्वी, श्रावककरना। श्राविका की निंदा/अविनय करना। 2. दुःखी के दुःख को दूर करने के प्र.347. चारित्र मोहनीय कर्मबंध के कारण लिये तत्पर रहना। बताओ। 3. दुःखी, दीन, असहाय पर अनुकंपा उ. 1. क्रोध-मान-माया-लोभ करना। करना। 2. पांच इन्द्रियों के अधीन बनकर 4. अहिंसा का अधिकतम पालन ___ वेदत्रिक का बंध करना। करना। 3. दूसरों को भयभीत करना, 5. देव-गुरू की सेवा, विनय एवं आर्तध्यान-रौद्रध्यान करना, दूसरों वैयावच्च करना। . की हँसी-मजाक करना आदि / 6. जीवों को अभयदान देना। 4. भाण्ड जैसी कुचेष्टा करना, 7. जल, अग्नि, वनस्पति आदि के . मंत्र-तंत्र, जादू-टोना करना, उपभोग में संयम करना, उनका भोगों का अनुमोदन करना, प्रियदुरूपयोग नहीं करना। अप्रिय वस्तु अथवा व्यक्ति के 8. लोगों के साथ स्नेह, करूणा, प्रेम, संयोग-वियोग में अतिशय आनंद - शान्तिपूर्ण और सद्भावयुक्त व्यवहार अथवा दुःख का अनुभव करना, करना। धर्म-धर्मीजनों की हँसी-मश्करी प्र.346. दर्शन मोहनीय कर्म बंध के कारण करना, साधु-साध्वी आदि की बताओ। निंदा, उनसे घृणा करना आदि / उ. . 1. जिनवाणी से विपरीत कहना। प्र.348.मोहनीय कर्म का क्षय किस प्रकार . 2. भोगोपभोग के साधनों में होता है? . दिन-रात आसक्त रहना। उ. 1. प्रतिकूल प्रसंगों में भी क्रोध नहीं . 3. कुदेव-कुगुरू-कुधर्म पर श्रद्धा करना। करना। 2. धन, ज्ञान, रूप, कुल, बल आदि 4. सन्मार्ग का विनाश करना। का अभिमान नहीं करना।