________________ 110 सिरिउसहनाहचरिए हेमवण्णो गयवाहणो पहुणो पोसत्थो सासणजक्खो संजाओ / तह नामओ अपडिः चक्का सुवण्णवण्णा गरुलाऽऽसणा वरय बाण-चक्क-पासधरेहिं चऊहिं दाहिणभुएहिं चउहिं धणुह-वज्ज चक्कंकुसघरवामहत्थेहिं सोहिरी सामितित्थुप्पण्णा पहुस्स पासम्मि सासणदेवया होइ। तओ नक्खत्तेहिं चंदो इव महरिसीहिं परिवरि ओ पहू वि अण्णत्थ विहरिउं बच्चेइ / गच्छंतस्स पहुस्स तरवो भत्तीए चिय नमिरा हुँति, कंटगा अहोमुहा, पक्खिणो पयाहिणा, इंदियविसयाणुकूलो उऊ, पवणो वि अणुकूलो, भत्तुणो समीमि जहण्णओ देवाणं कोडी सैएव चिठेइ, भवंतरुब्भूयकम्मविणासावलोयणभयाओ इव तिजगपहुणो केसा मेंसू नहा य न वड्दते / सामी जत्थ विहरेइ तत्थ वइर-मारि-ईइ अबुद्धि-दुभिक्खाऽइवुट्ठि-सचक्क --- परचक्कभयं न सिया इअ जगविम्हयगराऽइसयगणेहिं संजुत्तो भवभमणजगजंतूवयारिक्कबुद्धी नाहिनंदणो उसहपहू पुढविं वाउव्व अपडिबद्धो विहरेइ / इअ वय-विहार-केवल-,नाण-समोसरणरूवओ तइओ। उद्देसो इह पुण्णो, जाओ सिरिउसहचरियस्स // 1 // इअ सिरितवागच्छाहिवइ–सिरिकयंबप्पमुहाणेगतित्थोद्धारग-सासणप्पहावग—आबालबंभयारि-सूरीससेहरआयरियविजयनेमिसूरीसरपट्टालंकार-समयण्णु-संतमुत्ति-वच्छल्लवारिहि-आइरियविजयविन्नाणसूरीसर- पट्टधर-सिद्धंतमहोदहि-पाइअ-- भासाविसारय-विजयकत्थूरसूरि-विरइए महापुरिसचरिए पढमवग्गम्मि सिरिउसहपहुणो दिक्खा-छउमत्थविहार-केवलनाण समोसरणवण्णणरूवो तइओ उद्देसो समत्तो // .. 1 पावस्थः-निकटस्थः / 2 ऋतुः / 3 सदैव / 1 श्मनु। . TEN