________________ [पीठिका बृहत्कल्पचूर्णिः // एमेव अधाउं उज्झिऊण धाऊण कुणइ आयाणं। ण य अक्कमेण सक्का, धाउम्मि वि इच्छियं काउं // 219 // सुहसज्झो जत्तेणं, जत्तासज्झो असज्झवाही उ। जह रोगे पारिच्छा, सिस्ससभावाण वि तहेव // 220 // बीयमबीयं णाउं, मोत्तुमबीए उ करिसतो सालिं / ववइ विरोहणजोग्गे, ण यावि से पक्खवाओ उ॥२२१॥ कंकडए को दोसो, जं अग्गी तं तु ण पयइ दित्तो। को वा इयरे रागो, एमेव य सूवकारस्स // 222 // जे उ अलक्खणजुत्ता, कुमारगा ते णिसेहिउं इयरे। रज्जरिहे अणुमण्णइ, सामुद्दो णेय विसमो उ॥२२३॥ जो जह कहेइ सुमिणं, तस्स तह फलं कहेइ तण्णाणी। रत्तो वा दुट्ठो वा, ण यावि वत्तव्वयमुवेइ // 224 // "दारूं धातुं०" दारगाधा / वक्खाणगाधा सिद्धा चेव / १किंचि भणामि / जोएतुं ति लाएतुं / दलो णामं दुधा-तिधादि-फालणं / कुस्सो णामं जो वेधे पवेसिज्जति प्रान्ते / एवं चेव अम्ह वि रागो दोसो वा णत्थि / दारुत्ति गतं / जाधे राता(या) ववगतो भवति ताधे जे तस्स पुत्ता कुमारगा ते सव्वे सामुद्दलक्खणपाढओ परिक्खित्ता जो रायलक्खणसंपण्णो तं संदिसति-एस लक्खणजुत्तो त्ति। एगंतेण चेव अयोग्गे अववायस्स अतिपरिणामए पुरिसे एवमादीया उदाहरणा भवंतीति। जो पुण अपरिणामओ तस्स कमेण, णिम्मवेतुं णिम्मवेतुं कधिज्जति / असमत्थे य इमाणि उदाहरणाणि अग्गी बाल गिलाणे, सीहे रुक्खे करीलमादीया। अपरिणतजणे एते, सप्पडिवक्खा उदाहरणा // 225 // जध अरणी णिम्मवितो, थोवो विउलिंधणं ण चाएति / दहिउं सो पज्जलितो, सव्वस्स वि पच्चलो पच्छा // 226 // एवं खु थूलबुद्धी, णिउणं अत्थं अपच्चलो घेत्तुं / सो चेव जणियबुद्धी, सव्वस्स वि पच्चलो पच्छा // 227 // 1. किंपि पू० 1 / 2. प्रान्तो पू० 2, पा० / 3. असमत्थेण पू० 1 / असमत्थे व पू० 2 /