________________ भाष्यगाथा-२०८-२१८] "चोतेति राग-दोसे०" गाधा / चोदतो चोदेति-१अहो राग-दोसिया / कधं ? / सो सीसो दुविहो होज्जा-गहणधारणासमत्थो य जड्डो य / मच्छरता अविमुत्ती, पूया-सक्कार गच्छति य खिण्णो। दोसो गहणसमत्थे, इतरे रागो य वोच्छेदो // 213 // "मच्छरता०" गाधा / 'मच्छरत'त्ति, एस मम सवत्तीहोहिति लहुं सिक्खितो तेण खेदेध सत्तहिं परिवाडीहिं / अविमुत्ती२-एस सुत्तत्थेसु समत्तेसु णिप्फिडिहिति त्ति इयरधा किंचि अमुत्ती होहिति / सीसपरिवारितस्स पूयासक्कारो भविस्सति / ताधे य सो गच्छिधिति खिण्णो त्ति परिस्संतो अण्णं गच्छं / अणुओगवोच्छेदो भवति / एवं द्वेषो गहणसमत्थे एताए विहीए कधिज्जमाणे / इतरो नाम जड्डो, तम्मि भे रागो, जं सत्तहिं परिवाडीहिं देह / असमत्थ त्ति आयरिओ अप्पणो असमत्थत्तणं सीसस्स य जाणित्ता इमं आह णिरवयवो न हु सक्को, सयं पगासो उ संपयंसेउं / कुंभजले वि हु तुरितुज्झितम्मि न वि तिम्मए लिहूं // 214 // "णिरवयव०" गाधा / कंठा / 'सयं' ति एगाए परिवाडीए / इदाणिं अपरिणामग त्ति। एकग्रहणात् तज्जातीयग्रहणं / सीसो तिविहो-परिणामओ अपरिणामओ अतिपरिणामओ य। सुत्त-ऽत्थे कधयंतो, पारोक्खी सिस्सभावमुपलब्भ / अणुकंपाएँ अपत्ते, णिज्जूहति मा विणस्सिज्जा // 215 // "सुत्तऽत्थे०" गाधा / "णिज्जूहति" त्ति अपवातं न कथयतीत्यर्थः / तत्थ (अपरिणामतेसु इमे उदाहरणा दारुं धातुं वाही, बीए कंकडुय लक्खणे सुविणे / एगतेण अजोग्गे, एवमादी उदाहरणा // 216 // को दोसो एरंडे, जं रहदारूंण कीरए तत्तो। को वा तिणिसे रागो, उवजुज्जइ जं रहंगेसु // 217 // जं पि य दारुं जोग्गं, जस्स उ वत्थुस्स तं पि हु ण सक्का / जोएउमणिम्मविउं, तच्छण-दल-वेह-कुस्सेहिं // 218 // 1. अहोत्थ रागद्दो० पा० / 2. अविज्झती पू० 2 / 3. ०प्फिडति पू० 1-2 विना / 4. अमुयी पू० 2, पा० / 5. सो गंछिसीति पू० 2 / 6. सई ता० / 7. लेट्ट ता० / 8. अतिपरिणामएसु पा० / 9. बाधि बी० ता० /