________________ 214 बृहत्कल्पचूर्णिः // [पीठिका 761 692 693 498 गिहिलिंग अण्णलिंग गीतं मुणितेगटुं गीतेण होइ गीई गीयत्थ परिग्गहिते गीयत्यो य विहारो गुणदोसविसेसण्णू गुणसुट्टितस्स वयणं गुरुगा अहे य चरमति० गुरुगा बंभावाए गेण्हंतगाहगाणं 192 175 176 129 175 101 691 758 689 690 495 688 365 245 533 590 233 66 367 246 536 593 234 136 152 घडसद्दे घडकारा 63 200 138 794 687 505 541 258 703 770 175 131 138 68 178 195 132 चउदसपुव्वी मणुओ चउभंगो अणुण्णाए चउरो ओदइअम्मी चउरो लहुगा गुरुगा चउलहुगा चउगुरुगा चत्तारि दुवाराई चरगाई वुग्गाहण चलचित्तो भावचलो चलजुत्तवच्छमहिया चंदगुत्तपपुत्तो तु चाउम्मासुक्कोसे चिंधेहिँ आगमेउं चिरपव्वतितो तिविधो चेयणमचित्त मीसग चेयणमचेयण भाविय चेयण्णस्स उ जीवा चोदेति रागदोसे चोद्दस दस य अभिण्णे चोयग पुच्छा उस्सा० चोयगवयणं गंतूण 138 791 684 502 538 256 700 767 508 294 606 563 403 681 798 18 506 296 609 156 145 109 405 684 801 174 202 18 9 221 211 132 32 132 718 181 127 715 483 487 461 छक्काय चउसु लहुगा छड्डणे काउड्डाहो 465 554 122 . . 142 551