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________________ प्रति परिचय बृहत्कल्पचूर्णि की एकाधिक प्रतियाँ जैनज्ञान भण्डारों में उपलब्ध हैं / उनमें से कुल पाँच प्रतों की झरोक्ष उपलब्ध हुई हैं / भाण्डारकर इन्स्टिट्यूट, पूना से दो, एक प्रत पाटण स्थित संघभण्डार, (वर्तमान में श्री हेमचन्द्राचार्यज्ञानभण्डार) की, एक प्रत शान्तिनाथ जैन ज्ञानभण्डार खंभात की तथा पाँचवी कागज की श्रीकैलाससागरसूरिज्ञानमन्दिर की / इस प्रकार कुल पाँच प्रतों के आधार से बृहत्कल्पचूर्णि का लेखन संशोधन सम्पादन किया गया है। इन प्रतियों को क्रमशः पूना की प्रतों के लिए पू० 1, पू० 2, पाटण प्रत के लिए पा०, एवं खंभात प्रत के लिए खं० ऐसे. संकेत दिये गये हैं। प्रति नं० 1 यह भाण्डारकर इन्स्टिट्यूट से उपलब्ध ताडपत्रीय प्रत सर्वाधिक प्राचीन है / ग्रन्थसूची में इसका नं० 580 है / इसमें मूलसूत्र, लघुभाष्य एवं चूर्णि का सम्पूर्ण आलेखन हुआ है / इसके कुल झेरोक्ष पत्र 241 हैं। अन्त में इस ग्रन्थ का श्लोक परिमाण 16000 दिया है / इस प्रति का प्रारम्भ "भलेमींडी, न नमो वीतरागाय // "मंगलादीणि सत्थाणि" से होता है / अन्त में 'मोक्खं पावतीति' कल्पचूर्णी समाप्ता छ / ग्रन्थ 16000 अंकतोऽपि // छ / संवत् 1218 में अणहिल पाटण में कुमारपाल राजा के शासन काल में चाहरपल्लि ग्राम के निवासी साउकउद्यव० शोभनदेवने श्रीमज्जिनभद्राचार्य के लिए लेखक सोहड से लिखवाई / ग्रन्थ के अन्त में इसकी प्रशस्ति इस प्रकार है ___Ends.-leaf 241 अप्पमादीणं गुणदीवेति / जो य एयाए कप्पाणुपालणाए दीवणाए य वट्टइ तस्स आराहणा भवति / णाणदंसणचरित्तमयी जहण्णिया / मज्झिमा उक्कोसिया वा तओ य आराहणाओ च्छि(छि)ण्णसंसारी भवति / संसारसंतई छेत्तुं / मोक्खं पावतीति कल्पचूर्णी समाप्ता [:] // छ ग्रन्थ 16000 अंकतो(s)पि // छ / संवत् 1218 वर्षे द्वि० आषाढशुदि 5 गुरावधेह श्रीमदणहिलपाटके समस्तराजावलीविराजितसमलंकृतमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरमभट्टारकउमापतिवरलब्धप्रसादमहाहवसंग्रामनियूंढप्रतिज्ञाप्रौढनिजभुजरणांगणविनिर्जित'शाकंभरी' भूपाल श्रीमत्कुमारपालदेवकल्याणविजयराज्ये तत्पादपद्मोपजीवि[त]महामात्यश्रीयशोधवले श्रीश्रीकरणादौ समस्तमुद्राव्यापारान् परिपंथयति
SR No.004440
Book TitleBruhatkalp Sutram Pithika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheelchandrasuri, Rupendrakumar Pagariya
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2008
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
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