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________________ 114 बृहत्कल्पचूर्णिः // [ पीठिका __ "संविग्ग०" गाधा / तप्पक्खिय त्ति, संविग्गपक्खिता / 'एयर'त्ति, असंविग्गपक्खिया / परपक्खे वि य दुविहं, माणुस तेरिच्छगं च णायव्वं / एक्ककं पि य तिविहं, परिसित्थि णपुंसगं चेव // 424 // पुरिसावायं तिविहं, दंडिय कोडुबिए य पागइए। ते सोयऽ-सोयवादी, एमेव णपुंस-इत्थीसु // 425 // दित्तमदित्ता तिरिया, जहण्णमुक्कोस मज्झिमा तिविहा / एमेवेत्थि-णपुंसा, दुगुंछिय-ऽदुगुंछिया णवरं // 426 // "परपक्खे वि य०" गाधात्रयम् / कंठं / किंचि भणामि / 'दित्ते' त्ति दुष्टाः / दुगुंछिता महासद्दियादी / उक्कोसा हत्थिमाई मज्झिमा महिसमादी, जहण्णा एलियादी / एतेसिं तं आवातं संलोगं वा होज्जा / 'भेद'त्ति गतं / इयाणि 'सोधि'त्ति पच्छित्तं / तं आवातं संलोगं वा चउत्थथंडिलं गच्छंतस्स मणुय-तिरिएसु लहुगा, चउरो गुरुगा य दित्ततिरिएसु। तिरियणपुंसित्थीसु य, मणुयत्थि-णपुंसगो गुरुगा // 427 // मणुय-तिरियपुंसेसुं, दोसु वि लहुगा तवेण कालेण / कालगुरू तवगुरुगा, दोहिँ गुरू अद्धोकंती वा // 428 // पागय कोडुंबिय दंडिए य अस्सोय-सोयवादीसु। चउगुरुगा जमलपया, अहवा चउ छच्च गुरु-लहुगा // 429 // [ पागइयऽसोयवादी, पुरिसाणं लहुग दोहि वी लहुगा / ते चेव य कालगुरू, तेसिं चिय सोयवादीणं // 430 // ते च्चिय लहु कालगुरू, कोडुंबीणं असोयवादीणं / तेसि चिय ते चेव उ, तवगुरुगा सोयवादीणं // 431 // दंडिय असोय ति च्चिय, सोयम्मि य दोहि गुरुग चउलहुगा / एस पुरिसाण भणिओ, इत्थि-नपुंसाण वी एवं // 432 // ] 1. अत्र मुद्रित बृ०क०३० पुस्तके (विभाग 1, पृ० 123) श्रीपुण्यविजयमुनिना कृता टिप्पणी एवं"मणुयतिरिएसु' गाथाष्टकं कण्ठयम् / सोधि त्ति गतम्।" इत्यनेन चूर्णिग्रन्थेन चूर्णिकृता "भद्द तिरी पासंडे' 429 गाथां यावत् शोधिद्वारसत्कं गाथाष्टकमावेदितम् इति "पागय कोडुंबिय" इति 427 गाथाटीकायां टीकाकृद्भिः "उक्तं च" इति उल्लिख्य यत् "पागइयऽसोयवादी०" इत्यादि गाथात्रिकं निष्टङ्कितं तत् चूर्णिकारमतेन भाष्यसत्कामिति सम्भावयामः / न खल्वेतत् “पागइयसोयवादी०'' इत्यादिकं गाथात्रिकमस्मत्पार्श्ववर्तिनीषु भाष्यप्रतिषु क्वापि दृश्यते / " एतत्सम्भावनामाश्रित्य एतद्गाथात्रयं अत्र [ Jकृत्वा मूलपाठ रूपेण निर्दिष्टमस्तीति बोध्यम् / /
SR No.004440
Book TitleBruhatkalp Sutram Pithika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheelchandrasuri, Rupendrakumar Pagariya
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2008
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
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