________________ 566 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन (45 आगम मूल तथा विवरण के श्लोक प्रमाणदर्शक कोष्टक) मुनिश्री दीपरत्नसागरजी म. द्वारा संकलित सटीक "आगमसुत्ताणि" से साभार उद्धृत... मूल क्रमांक आगमसूत्रनाम श्लोक प्रमाण वृत्ति-कर्ता श्लोकप्रमाण वृत्ति 12000 | आचारांग सूत्रकृतांग स्थानांग 12850 14250 3575 समवायांग | भगवती ज्ञाताधर्मकथा 18616 2554 | शीलाङ्काचार्य 2100 शीलाङ्काचार्य 3700 अभयदेवसूरि 1667 | अभयदेवसूरि 15751 | अभयदेवसूरि 5450 | अभयदेवसूरि 812 | अभयदेवसूरि 900 अभयदेवसूरि 192 | अभयदेवसरि 1300 अभयदेवसूरि 1250 | अभयदेवसूरि 3800 उपासकदशा 800 400 100 10 5630 900 wII 0 1167 | ----- 3125 I 3700 | अन्तकृद्दशा अनुतरोपपातिकदशा प्रश्नव्याकरण | विपाकश्रुत औपपातिक 13 राजप्रश्नीय जीवाजीवाभिगम | प्रज्ञापना 16 सूर्यप्रज्ञप्ति 17 चन्द्रप्रज्ञप्ति 18 जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति १९थी निरयावलिका 14000 '16000 MI | | 2120] मलयगिरि 4700 | मलयगिरि 7787 | मलयगिरि 2296 | मलयगिरि 2300 मलयगिरि 4454 | शान्तिचन्द्र उपाध्याय 1100 | चन्द्रसूरि 9000 9100 18000 600 | (पञ्च उपाङ्ग) चतुःशरण 24 (?) 200 25 आतुर प्रत्याख्यान (?) 150 80 विजयविमलयगणि 100 गुणरत्नसूरि (अवचूरि) 176 | आनन्दसागरसूरि (संस्कृतछाया) 215 | आनन्दसागरसूरि (संस्कृतछाया) 176 26 महाप्रत्याख्यान 27 भक्तपरिज्ञा 215