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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 2-1-2-3-20 (440) 239 में सुखा कर एवं यत्ना पूर्वक देख कर फिर गृहस्थ को लौटावे / IV टीका-अनुवाद : इस सूत्र का भावार्थ सुगम हि है... अब वसति में रहने वालों की विधि कहतें हैं... V सूत्रसार : इस सूत्र में बताया गया है कि- साधु को गृहस्थ के घर से लाए हुए संस्तारक को वापिस लौटाते समय उसकी शुद्धता का पूरा ख्याल रखना चाहिए। प्रतिदिन उसकी प्रतिलेखना करनी चाहिए जिससे उस पर जीव-जन्तु पैदा न हों, और वापिस लौटाते समय भी उसे अच्छी तरह से देख लेना चाहिए और रजोहरण से प्रमार्जन कर लेना चाहिए जिससे उस पर कूड़ाकर्कट भी न जमा रहे। इतना ही नहीं, फिर उसे सूर्य की धूप में रखकर और भली-भांति झाड़-पोंछकर लौटाना चाहिए। इससे साधु जीवन की व्यवहारिकता पर विशेष प्रकाश डाला गया है। यदि वह उस संस्तारक को बिना साफ किए ही दे आएगा, तो गृहस्थ उसे साफ करके रखेगा और यह भी स्पष्ट है कि- वह सफाई करते समय साधु जितना विवेक नहीं रख सकेगा, अतः साधु को ऐसी स्थिति ही नहीं आने देनी चाहिए कि- उसके द्वारा उपभोग किए गए संस्तारक को साफ करने के लिए कोई गृहस्थ अयत्नापूर्वक प्रयत्न करे। दूसरे में साफ की हुई वस्तु को देखकर गृहस्थ के मन में फिर से किसी साधु को देने की भावना सहज ही जागृत होगी और अस्वच्छ रुप में प्राप्त करके उसके मन में कुछ रोष भी आ सकता है। अतः गृहस्थ के यहां से लाए हुए संस्तारक आदि को यत्नापूर्वक साफ करके ही लौटाना चाहिए। . साधु को बस्ती में किस तरह निवास करना चाहिए इसका उल्लेख करते हुए सूत्रकार महर्षि सुधर्मस्वामी आगे का सूत्र कहतें हैं... I सूत्र // 20 // // 440 // __ से भिक्खू वा० समाणे वा वसमाणे वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे वा पुत्वामेव पण्णस्स उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहिज्जा, केवली बूया- आयाण- मेयं, अपडिलेहियाए उच्चारपासवणभूमीए... से भिक्खू वा० राओ वा वियाले वा उच्चारपासवणं परिद्ववेमाणे पयलिज्ज वा से तत्थ पयलमाणे वा, हत्थं वा पायं वा जाव लूसेज्ज वा, पाणाणि वा. ववरोविज्जा, अह भिक्खूणं पुटवो० जं पुत्वामेव पण्णस्स उच्चार० भूमि पडिलेहिज्जा // 440 //
SR No.004438
Book TitleAcharang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size14 MB
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