SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 362
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 333 श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका "आहोरी" नाम-टीकायाः लेखनकार्यकुर्वता / अर्जितं चेत् मया पुण्यं सुखीस्युः तेन जन्तवः // 18 / / ग्रन्थेऽत्र यैः सहयोगः प्रदत्तोऽस्ति सुसजनैः / तान् तान् कृतज्ञभावेन स्मराम्यहं जयप्रभः // 19 / / : अन्तिम-मङ्गल : जुन वर्धमानाद्याः अर्हन्तः परमेश्वराः / जयन्तु गुरु-राजेन्द्र-सूरीश्वराः गुरुवराः // 20 // जयन्तु गुरुदेवाः हे ! श्रीयतीन्द्रसूरीश्वराः ! / जयन्तु साधवः ! साध्व्यः ! श्रावकाः ! श्राविकाश भोः ! // 21 // सर्वेऽपि सुखिनः सन्तु सर्वे सन्तु निरामयाः / __ सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् // 22 // : : प्रशस्ति : मालव (मध्य प्रदेश) प्रांतके सिद्धाचल तीर्थ तुल्य शत्रुजयावतार श्री मोहनखेडा तीर्थमंडन श्री ऋषभदेव जिनेश्वर के सांनिध्यमें एवं श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरिजी, श्रीमद् यतीन्द्रसूरिजी, एवं श्री विद्याचंद्रसूरिजी के समाधि मंदिर की शीतल छत्र छायामें शासननायक चौबीसवे तीर्थंकर परमात्मा श्री वर्धमान स्वामीजी की पाट-परंपरामें सौधर्म बृहत् तपागच्छ संस्थापक अभिधान राजेन्द्र कोष निर्माता भट्टारकाचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न विद्वद्वरेण्य व्याख्यान वाचस्पति अभिधान राजेन्द्रकोषके संपादक श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न, दिव्यकृपादृष्टिपात्र, मालवरत्न, आगम मर्मज्ञ, श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम प्रकाशन के लिये राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी हिंदी टीका के लेखक मुनिप्रवर ज्योतिषाचार्य श्री जयप्रभविजयजी म. “श्रमण' के द्वारा लिखित एवं पंडितवर्य लीलाधरात्मज रमेशचंद्र हरिया के द्वारा संपादित सटीक आचारांग सूत्र के भावानुवाद स्वरूप श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी हिंदी टीका-ग्रंथ के अध्ययनसे विश्वके सभी जीव पंचाचारकी दिव्य सुवासको प्राप्त करके परमपदकी पात्रता को प्राप्त करें... यही मंगल भावना के साथ... "शिवमस्तु सर्वजगत:" . वीर निर्वाण सं. 2528. // राजेन्द्र सं. 96. विक्रम सं. 2058.
SR No.004437
Book TitleAcharang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy