SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 342
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका // 1- 9 -4 - 9 (326) // 313 V सूत्रसार : संयम-साधना के जीवन में प्रविष्ट होते ही मुनि सब से पहले तीन करण और तीन योग से पाप कार्य से निवृत्त होने की प्रतिज्ञा करता है। वह मन, वचन और शरीर इन तीनों योगों से न स्वयं पापकर्म करता है, न अन्य से पापकर्म करवाता है और पाप कर्म करने वाले का समर्थन भी कभी नहि करता है। क्योंकि- पापकर्म से अशुभ कर्म का बन्ध होता है, संसार परिभ्रमण बढता है। इसलिए पदार्थों के यथार्थ स्वरूप के परिज्ञाता भगवान महावीर ने दीक्षित होने के बाद कभी भी पापकर्म का सेवन नहीं किया। वे त्रिकरण और त्रियोग से पापकर्म से निवृत्त रहे। भगवान के त्याग-निष्ठ जीवन का उल्लेख करते हुए सूत्रकार महर्षि आगे का सूत्र कहते हैं... I सूत्र // 9 // // 326 // 1-9-4-9 गामं पविसे नगरं वा घासमेसे कडं परट्ठाए। सुविसुद्धमेसिया भगवं आयत जोगयाए सेवित्था // 326 // II संस्कृत-छाया : ग्रामं प्रविश्य नगरं वा, ग्रासमन्वेषयेत् कृतं परार्थाय / सुविशुद्धं एषित्वा भगवान् आयतयोगतया सेवितवान् // 326 // III सूत्रार्थ : श्रमण भगवान महावीर गांव या शहर में प्रविष्ट होकर गृहस्थ के द्वारा आपने परिवार के पोषण के लिए बनाए गए आहार में से अत्यन्त शुद्ध निर्दोष आहार की गवेषणा करते और उस निर्दोष आहार को संयमित योगों से विवेक पूर्वक सेवन करते थे। IV टीका-अनुवाद : ___ गांव या नगर में प्रवेश कर के परमात्मा आहार की गवेषणा (शोध) करतें थे... किंतु वह आहार उद्गमादि सोलह दोष रहित हो, तथा उत्पादनादि के भी सोलह दोष रहित हो ऐसे निर्दोष आहार की दश दोष रहित गवेषणा कर के मन, वचन एवं काययोग से संयत ऐसे महावीरस्वामीजी मतिज्ञान, श्रुतज्ञान अवधिज्ञान एवं मन:पर्यवज्ञान के उपयोग के द्वारा अपने तीन योगों को समाधि में रखकर ग्रालेषणा दोष का परिहार (त्याग) कर के शुद्ध आहार लेते थे...
SR No.004437
Book TitleAcharang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy