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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 1-9-1-8 (272) 241 I. सूत्र // 8 // // 272 // 1-9-1-8 णो सुकरमेयमेगेसिं, नाभिभासे य अभिवायमाणो / हयपुव्वे तत्थ दण्डेहिं लूसियपुव्वे अपुण्णेहिं // 272 // II संस्कृत-छाया : नो सुकरमेतदेकेषां, नाभिभाषते च अभिवादयतः / हतपूर्वः तत्र दण्डै: लूषितपूर्वः अपुण्यैः // 272 // II सूत्रार्थ : जब भगवान महावीर अनार्य देश में विहार कर रहे थे, उस समय पुण्यहीन अनार्य व्यक्तियों ने भगवान को डंडों से मारा-पीटा एवं उन्हें विविध कष्ट दिए, फिर भी वे अपनी साधना में संलग्न रहे। अभिवादन करने वाले व्यक्ति पर प्रसन्न होकर न तो उससे बात करते थे और न तिरस्कार करने वाले व्यक्ति पर क्रोध करते थे। वे मान एवं अपमान को समभाव पूर्वक सहन करते थे। अतः प्रस्तुत अध्ययन में उल्लिखित भगवान महावीर की साधना जन साधारण के लिए सुगम नहीं थी अर्थात् सामान्य साधक इतनी उत्कृष्ट साधना नहीं कर सकता... IV टीका-अनुवाद : सामान्य मनुष्यों के लिये जो कार्य सुकर नहि है, ऐसा दुष्कर कार्य परमात्मा सहज भाव से करते हैं... जैसे कि- कितनेक लोग विनय नम्रभाव से अभिवादन करे, नमस्कार करे, तो भी परमात्मा मौन हि करते हैं... और कितनेक लोग अभिवादन-नमस्कार न करे तो भी कोप, नहि करतें, किंतु मौनभाव में हि रहतें हैं... तथा अनार्यदेश में कितनेक अनार्य लोग प्रतिकूल भाव से उपसर्ग करे, लकडी-दंडे से मारे, या अन्य कष्ट दे, तो भी परमात्मा द्वेष भाव नहि करतें, किंतु शुभध्यान याने धर्मध्यान में हि लीन रहते हैं... V सूत्रसार : प्रस्तुत गाथा में भगवान महावीर की साधना का उल्लेख किया गया है। इसमें बताया है कि- भगवान सदा सभी प्राणियों पर समभाव रखते थे। उनका किसी भी प्राणी के प्रति रागद्वेष नहीं था। वे न तो किसी के वन्दन-अभिवादन आदि से प्रसन्न होते थे और किसी के द्वारा मान-सम्मान या वन्दन न मिलने पर उस पर क्रुद्ध भी नहि होते थे। जब भगवान अनार्य देश में गए तो वहां के लोग भगवान की साधना से परिचित नहीं थे। वे धर्म के मर्म को नहीं जानते थे। अत: वे भगवान की मखौल उडाते, उन्हें गालिएं
SR No.004437
Book TitleAcharang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size8 MB
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