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________________ / श्री सौधर्म बृहत्तापगच्छीय पट्टावली / शासनपति - त्रिशलानंदन श्री महावीरस्वामीजी (1) श्री सुधर्मस्वामीजी (27) श्री मानदेवसरिजी (53) श्री लक्ष्मीसागरसूरिजी (2) श्री जम्बू स्वामीजी (28) श्री विबुधप्रभसूरिजी (54) श्री सुमतिसाधुसूरिजी (3) श्री प्रभवस्वामीजी (29) श्री जयानन्दसूरिजी (55) श्री हेमविमलसूरिजी (4) श्री शय्यंभवसूरिजी (30) श्री रविप्रभसूरिजी (56) श्री आनंदविमलसूरिजी . श्री यशोभद्रसूरिजी (31) श्री यशोदेवसूरिजी (57) श्री विजयदानसूरिजी . श्री संभूतिविजयजी (32) श्री प्रद्युम्नसुरिजी (58) श्री विजयहीरसूरिजी श्री भद्रबाहुस्वामीजी (33) श्री मानदेवसृरिजी (59) श्री विजयसेनसूरिजी श्री स्थूलभद्रसूरिजी (34) श्री विमलचन्द्रसूरिजी (E0) विजयदेवसूरिजी श्री आर्य महागिरिजी (35) श्री उद्योतनसूरिजी श्री विजयसिंहसूरिजी . श्री आर्यसुहस्तिसूरिजी (36) श्री सर्वदेवसूरिजी (61) श्री विजयप्रभसूरिजी श्री सुस्थितसूरिजी (39) श्री देवसूरिजी (62) श्री विजयरत्नसूरिजी श्री सुप्रतिबद्धसूरिजी (38) श्री सर्वदेवसूरिजी (3) श्री वृद्धक्षमासूरिजी (10) श्री इन्द्रदिन्नसूरिजी (39) श्री यशोभद्रसूरिजी (64) श्री विजयदेवेन्द्रसूरिजी (11) श्री दिन्नसूरिजी श्री नेमिचन्द्रसूरिजी (65) श्री विजयकल्याणसूरिजी (12) श्री सिंहगिरिसूरिजी (40) श्री मुनिचन्द्रसरिजी (66) श्री विजयप्रमोदसूरिजी (13) श्री वज्रस्वामीजी (41) श्री अजितदेवसूरिजी (67) श्री विजयराजेन्द्रसूरिजी म. (14) श्री वज्रसेनसूरिजी (42) श्री विजयसिंह सरिजी (68) श्री धनचन्द्रसरिजी (15) श्री चन्द्रसूरिजी (43) श्री सोमप्रभसरिजी (69) श्री भूपेन्द्रसूरिजी (16) श्री समन्तभद्रसूरिजी श्री मणिरत्नसूरिजी (70) श्री यतीन्द्रसूरिजी (17) श्री वृद्धदेवसूरिजी (44) श्री जगत्लन्टमरिजी (71) श्री विद्याचन्द्रसरिजी (18) श्री प्रद्योतनसूरिजी (45) श्री देवेन्द्रसूरिजी (72) श्री हेमेन्द्रसूरिजी (19) श्री मानदेवसूरिजी पानी इत्यादि अनेक स्थविर आचार्यों के द्वारा जिनागम-प्रवचन की पवित्र (20) श्री मानतुंगसूरिजी (46) श्री धर्मघोषसूरिजी परिपाटी आज हमें उपलब्ध हो रही (21) श्री वीरसूरिजी (47) श्री सोमप्रभसूरिजी है... गुरुपर्वक्रम से उपलब्ध यह (22) श्री जयदेवसूरिजी (48) श्री सोमतिलकसूरिजी सूत्र-अर्थ-तदुभयात्मक जिनागम शास्त्र श्री पावनकारी परिपाटी हि (23) श्री देवानन्दसूरिजी (49) श्री देवसुन्दरसुरिजी लवणसमुद्र तुल्य इस विषम (24) श्री विक्रमसूरिजी (50) श्री सोमसुंदरसरिजी दुःषमकाल (पांचवे आरे) में भी मधुरजल की सरणी के समान होने (25) श्री नरसिंहसूरिजी (51) श्री मुनिसुन्दरसूरिजी से भव्य जीवों के आत्महित के लिये (26) श्री समुद्रसूरिजी (52) श्री रत्नशेखरसरिजी पर्याप्त है... -मुनि दिव्यचंद्रविजय...
SR No.004436
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages528
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size12 MB
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