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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 1 - 3 - 1 - 3 (111) 217 करना चाहिए। ओर शब्दादि विषयों में राग-द्वेष मूलक प्रवृत्ति से निवृत्त होकर 6 काय की . हिंसा रूप शस्त्र का त्याग कर देना चाहिए, वास्तव में विषय भोगोपभोग के राग-द्वेष एवं हिंसा जन्य शस्त्रों का परित्याग ही मुनित्व है। ___ प्रस्तुत सूत्र में प्रयुक्त ‘समयं' शब्द के दो अर्थ होते हैं-“समय:-आचारोऽनुष्ठानं तथा समता-समशत्रु-मित्रतां समात्मपरतां वा” अर्थात् 'समय' शब्द आचार का भी परिबोधक है और इसका अर्थ यह भी होता है कि- प्रत्येक प्राणी पर समभाव रखना। ___ 'लोयंसि अहियाय दुक्खं' वाक्य का तात्पर्य यह है कि- अज्ञान और मोह दु:ख का कारण है। मोह और अज्ञान के कारण ही जीव नरकादि योनियों में विभिन्न दुःखों का संवेदन करता है। इसलिए नरकादि में प्राप्त होने वाले दुःखों को अहितप्रद कहा है। अतः इन दुःखों से छूटने का उपाय अज्ञान एवं मोह का त्याग करना हि है... 'अभिसमन्नागया' का अर्थ है-जिस आत्मा ने शब्दादि विषयों के स्वरूप को जान लिया है और उनमें जिस को की राग-द्वेष वाली प्रवृत्ति नहीं है, वही मुनि है और उसी ने लोक के स्वरूप को जाना है। जो प्रबुद्ध पुरुष शब्दादि विषयों के परिणाम को जानकर उनका परित्याग कर देते हैं, उन्हें किस गुण की प्राप्ति होती है? यह बात सूत्रकार महर्षि आगे के सूत्र से कहते हैं... I सूत्र // 3 // // 111 // 1-3-1-3 से आयवं नाणवं वेयवं धम्मवं बंभवं पण्णाणेहिं परियाणइ लोयं, मुणी त्ति . . वुच्चे। धम्मविऊ, उज्जू, आवदृसोए संगमभिजाणइ // 111 // II संस्कृत-छाया : स: आत्मवान् ज्ञानवान्, वेदवान्, धर्मवान्, ब्रह्मवान्, प्रज्ञानैः परिजानाति लोकं, मुनिरिति वाच्यः। धर्मवित् ऋजुः आवर्त्त-श्रोतसो: सङ्गं अभिजानाति // 111 // III सूत्रार्थ : वे आत्मा “मुनी' पद से वाच्य है कि- जो आत्मवान् ज्ञानवान् वेदवान् धर्मवान् ब्रह्मवान् है, तथा प्रकृष्ट ज्ञान से लोक को जानते हैं... धर्म को जाननेवाले ऋजु मुनी आवर्त याने संसार तथा श्रोत याने शब्दादि विषयानुराग के संग को अच्छी तरह से जानते हैं // 111 // - IV टीका-अनुवाद :
SR No.004436
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages528
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size12 MB
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