________________ 98 1 -2 - 2 - 5 (77) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन करनेवाले संसार के उदर में होनेवाले सभी भावों के ज्ञाता ऐसे तीर्थंकर प्रभु आर्य है... ऐसे आर्यों ने देव और मनुष्यों की बारह पर्षदा में सर्व-भाषा में परिणाम पानेवाली तथा एक साथ सभी जीवों के संशयों को नष्ट करनेवाली वाणी से यह मोक्षमार्ग बताया है... कहा है... ऐसे स्वरूपवाले मार्ग को जानकर क्या करना चाहिये ? इस प्रश्न के उत्तर में अब कहते हैं... कि- आत्मबलोपधान आदि कार्यों आने पर भी दंड का ग्रहण न करनेवाला तत्त्वज्ञ कुशल मुनी इस जीववध स्वरूप दंडका आदर न करें, अर्थात् दंड का ग्रहण न करें... अथवा विभक्ति का परिणाम होनेसे- हे शिष्य ! दंड के ग्रहण से होनेवाले कर्मो से तुम लेपाओ नहि वैसे हि प्रकार के निर्दोष कार्य करो... “इति" पद समाप्ति सूचक है... और “ब्रवीमि" याने मैं सुधर्मस्वामी हे जम्बू ! तुम्हें कहता हु... V सूत्रसार : जीवन का मूल लक्ष्य कर्म बन्धन से मुक्त होना है। इसके लिए बताया गया है किप्रबुद्ध पुरुष को त्रिकरण और त्रियोग से दण्ड-समारम्भ का परित्याग कर देना चाहिए। स्वयं किसी प्राणी का दण्ड-समारम्भ न करे, दूसरे व्यक्ति से न करावे, और ऐसा कार्य करने वाले का समर्थन भी न करे। इस प्रकार हिंसा जन्य प्रवृत्ति से सर्वथा दूर रहने वाला मनुष्य पाप कर्म से लिप्त नहीं होता। यह साधना पथ अर्थात् त्याग मार्ग आर्य पुरुषों द्वारा प्ररूपित है। आर्य की परिभाषा करते हुए कहा गया है कि ___ “आराद्याताः सर्वहेयधर्मेभ्य इत्यार्या:-संसारार्णवतटवर्तिनः क्षीणघातिकर्मांशाः संसारोदरविवरविवर्तिभावविदः तीर्थकृतस्तैः ‘प्रकर्षण' सदेवमनुजायां पर्षदि सर्वस्वभाषानुगामिन्या वाचा योगपद्याशेषसंशीतिच्छेत्र्या प्रकर्षेण वेदितः अर्थात्... कथितः प्रतिपादित इतियावत्"। अर्थात्- जो आत्मा पाप कर्म से सर्वथा अलिप्त है, जिसने घाति कर्म को क्षय कर दिया है, पूर्ण ज्ञान एवं दर्शन से युक्त है, ऐसे तीर्थंकर एवं सर्वज्ञ-सर्वदर्शी पुरुषों को आर्य कहा गया है और उनके द्वारा प्ररूपित पथ को आर्यमार्ग या आर्यधर्म कहते हैं। इसका निष्कर्ष यह निकला कि- जो मार्ग प्राणी मात्र के लिए हितकर है, अर्थात् हिंसा आदि दोष से दूषित नहीं है, तथा सभी जीवों के लिए सुख-शान्तिप्रद है, वह आर्य मार्ग है। और उस पर गतिशील साधक क्रमशः हि पूर्ण आत्म ज्योति को प्रकट कर लेता है। 'त्तिबेमि' का अर्थ पूर्व के उद्देशों की तरह समझीएगा....