________________ # 1 - 1 - 1 - 1 // श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन %3 4. | o u अमूढदृष्टिता - विवेक सदा बनाये रखें उपबृंहणा - धर्मीजनोंकी प्रशंसा करें स्थिरीकरण - धर्मीजनोंको धर्ममार्गमें स्थिर करें वात्सल्य - धर्मीजनों प्रति सद्भाव रखें प्रभावना - जीव मात्र धर्म को प्राप्त करें ऐसे भावसे धर्म-महोत्सव-प्रभावना करें... चारित्राचारके आठ प्रकार... अष्ट प्रवचन माता... ईर्या समिति भाषा समिति एषणा समिति आदान-निक्षेप समिति . पारिष्ठापनिका समिति मनोगुप्ति कायगुप्ति.. 8. 7. वचनगुप्ति तप-आचार के बारह (12) भेद... . अनशन प्रायश्चित ऊणोदरी * 8. 9. विनय वैयावच्य (वैयावृत्त्य) ल वृत्तिसंक्षेप रसत्याग स्वाध्याय >> 6. संलीनता कायक्लेश ___11. ध्यान ___12. कायोत्सर्ग... वीर्याचार के अनेक भेद होते हैं किंतु संक्षेपमें तीन योगके माध्यमसे तीन प्रकार कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं... 1. मनोयोग - जिनाज्ञानुसार मन का प्रवर्तन 2. वचनयोग . जिनाज्ञानुसार वचन का प्रवर्तन 3. काययोग - जिनाज्ञानुसार काया का प्रवर्तन इस प्रकार के पंथाचार को प्रतिपावन करनेवाला यह व्यंथ हि भावाधार है... - जिसके द्वारा गाढ ऐसे भी कर्म नष्ट होते हैं वह आचाल... यह नामादि भेदसे चार प्रकारका है... उनमें तद्व्यतिरिक्त द्रव्य आचाल = वायु (पवन) आचाल