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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका '1-1-1-11 // ज्ञ परिज्ञा ज्ञान प्रधान है और प्रत्याख्यान परिज्ञा त्याग प्रधान है / इस तरह परिज्ञा .से कर्मबन्ध के हेतुभूत क्रिया के स्वरूप को जान समझ कर एवं त्यागकर साधक संसार से मुक्त होने का प्रयत्न करता है / यहां एक प्रश्न पूछा जा सकता है कि- जब व्यक्ति परिज्ञा द्वारा संसार परिभ्रमण के कारणभूत क्रियाओं के स्वरूप को जान लेता है तब फिर वह कर्माश्रव के कारण रूप क्रियाओं के व्यापार में क्यों प्रवृत्त होता है ? पाप एवं दुष्कृत्य करने को क्यों तत्पर होता है ? इस प्रश्न का समाधान, सूत्रकार महर्षि स्वयं हि आगे के सूत्र में करेंगे... I सूत्र // 11 // इमरस चेव जीवियस्स परिवंदणमाणण-पूयणाए, जाइमरणमोयणाए दुक्खपडिधायहेउं / / 11 // . II संस्कृत-छाया : अस्य चैव जीवितस्य परिवन्दन-मानन-पूजनाय जाति-मरण-मोचनाय दुःखप्रतिघातहेतुम् // 19 // III शब्दार्थ : . इमस्स चेव जीवियस्स-इस जीवन के लिए / परिवंदण-माणाण-पूयणाए-परिवन्दनप्रशंसा, सत्कार और पूजा-प्रतिष्ठा के लिए / जाइ-मरण-मोयणाए-जन्म, मरण से मुक्ति पाने के लिए / दुक्ख-पडिघायहेउं-दुःखों से छुटकारा पाने के लिए अज्ञानी जीव पाप क्रियाओं में प्रवृत्त होते हैं / . IV सूत्रार्थ : ___इस जीवित का वंदन, सन्मान एवं पूजनके लिये तथा जन्म एवं मरणसे छुटनेके लिये और दुःखोंके विनाशके लिये... | // 11 // v टीका-अनुवाद : ___ यहां पर जीवित का अर्थ है- आयुष्य कर्मके उदयसे जीना याने प्राणधारण करना... और वह जीवन, सभी जीवोंको स्वसंवेदनसे प्रत्यक्ष हि है... 'इदम' सर्वनाम प्रत्यक्ष या निकटताका निर्देश करता है... और "च" शब्द जिनका अब कथन होगा. ऐसी जाति आदिके समच्चयके लिये है... तथा 'एव' पद अवधारण-निश्चित रूप अर्थका निर्देश करता है... अब कहते हैं किअस्सार एवं, बिजलीके विलास जैसे चंचल और बहुत कष्ट दायक इस जीवनके लिये और दीर्घ कालीन विषय-सुखके लिये यह जीव क्रियाओंमें प्रवृत्त होता है... वह इस प्रकार... आरोग्यवाला मैं जीऊंगा और सुखसे भोगोंको भोगुंगा, इस कारणसे वह जीव रोगोंको दूर करनेके लिये
SR No.004435
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size10 MB
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