________________ + 1-1-1-6 // श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन ____ इन नव विकल्पोंमें से प्रथम और अंतिम विकल्पका सूत्रसे हि निर्देश कीया है, अतः शेष बीचके सात विकल्पोंका भी ग्रहण कीया गया है प्रथम और अंतिम विकल्पका सूत्रसे हि निर्देश कीया है, अतः शेष बीचके सात विकल्पोंका भी ग्रहण कीया गया है ऐसा समझ लीजीयेगा... यह बातको स्पष्ट करने के लिये हि द्वितीय विकल्पका सूत्रसे हि निर्देश कीया है... और यहां जो दो बार 'च' का प्रयोग किया है, और 'अपि' शब्दका भी ग्रहण किया है, इससे मन, वचन और काया से चिन्तन करने पर 9 x 3 = 27 भेद होते है... ___ यहां यह भावार्थ है कि- 'मैंने किया' इस वाक्यमें 'मैं' पदसे विशिष्ट क्रियाको करनेवाला आत्माका निर्देश किया है... इससे यह भावार्थ निकलता है कि- वह हि मैं हुं कि- जिसने (मैंने) पूर्वकालमें यौवन अवस्थामें इंद्रियोके अधीन होकर विषय सुख के लिये विवेक शून्य चित्तसे उन उन अकार्य कार्यों में तत्पर होकर इस शरीरकी अनुकूलताके लिये चेष्टा की... कहा भी है कि- धन-वैभवके मदसे प्रेरित जीवात्मा यौवनके अभिमानसे जो कुछ अकार्य करता है, वह अकार्य वृद्धावस्थामें, हृदयमें शल्यकी भांति खटकता है... तथा “मैंने करवाया'' इस वाक्यसे अकार्य में प्रवर्तमान अन्य जीव को मैंने अकार्यमें प्रवृत्ति करवाइ... इसी प्रकार स्वयं हि अकार्य में प्रवृत्ति करनेवालेकी मैंने अनुमोदना की... इस प्रकार यहां भूतकालके करण, करावण एवं अनुमोदन रूप तीन विकल्प हुए... तथा 'मैं करता हुं' इत्यादि तीन वाक्यों (विकल्पों) से वर्तमानकालका उल्लेख हुआ... इसी प्रकार "मैं करूंगा, करवाउंगा और स्वयं करनेवाले अन्यकी अनुमोदन करुंगा'' तीन वाक्यसे भविष्यत्कालका कथन हुआ... इस प्रकार तीनों कालको स्पर्शनेवाला शरीर तथा इंद्रियोसे भिन्न भूत-वर्तमान-एवं भविष्यत्कालमें परिणाम पानेवाले आत्माके अस्तित्वका ज्ञान दिखलाया... ऐसा ज्ञान एकांत क्षणिकवादी, एवं एकांत नित्यवादीओं को नहि हो शकता, अतः इस बातसे उनका निराश हआ... क्रियाओंके परिणामसे आत्माका परिणामीपने का स्वीकार हो जाता है, और इसी हि प्रकारसे अनुमानके द्वारा भूतकालके और भविष्यत्कालके भवोंमें आत्माका होना निश्चित जाना जा शकता है... अथवा तो इस क्रियाओंके प्रबंध (भेद-प्रभेद) को कहने से कर्मबंधके उपादानकारण ऐसी क्रियाका स्वरूप कह दीया है... अब क्या इतनी हि क्रियाएं है ? या इसके अलावा अन्य भी क्रियाएं है ? इस प्रश्न का उत्तर, सूत्रकार महर्षि आगे के सूत्रसे कहेंगे... VI सूत्रसार :