________________ आचार्य हरिभद्र कौन थे ? समदर्शी आचार्य हरिभद्र का वाङ्मय दार्शनिकता का दिव्यदान है प्राग ऐतिहासिक काल की पृष्ठ भूमि है। आचार्य हरिभद्र संस्कृत-प्राकृत भाषा की प्राज्जलता को श्रमण संस्कृति साहित्य की धवोहव सिद्ध करने में सिद्धहस्त लेखक थे। आचार्य हविभद्र बहुमुखी प्रतिभा संपन्न थे / आचार्य हविभद्र एक मर्यादित मेधावी महाश्रमण थे / आचार्य हविभद्र उत्कृष्ट व्यक्तित्व एवं विशिष्ट कृतित्व के धनी थे (संप्रचारक थे) आचार्य हविभढ़ शिष्टाचार के संपालक थे। आचार्य हविभद्र 1444 ग्रन्थों की विशाल ज्ञानवाशी के प्रणेता थे। आ. हविभद्र ने श्रुतों का संदोहन समदर्शित्व रूप से। किया है। आ. हविभद्र भवविवह बनने का संकल्प समुद्घोषित। करनेवाले वीतराग विहित सिद्धान्तमय व्यक्तित्व के प्रतीक थे / / Jiiimlai 94406-20075