________________ वही 87. योगदृष्टि समुच्चय गा. 17 88. * वही गा.१३ 89. वही गा. 21 से 28 90. पातञ्जल योगसूत्र गा. 2/29, 30 91. योगदृष्टि समुच्चय गा. 214 92. वही गा. 213 से 218 93. पातञ्जल योगसूत्र पा. 2/31 94. वही विवेचन बंगाली बाबा पृ.८८ 95. योग एज फिलोसोफी एन्ड रीलीजन (सुरेन्द्रनाथ गुप्ता) पृ. 143, 144 96. योगदृष्टि समुच्चय गा. 41 97. वही गा. 15 98. गा. 41 99. पातञ्जल योगसूत्र पा. 2/29 100. वही 101. योगदृष्टि समुच्चय - डॉ. भगवानदास विवेचन पृ. 278 102. योगदृष्टि समुच्चय गा. 42 से 48 103. वही टीका गा. 49 104. पातञ्जल योगसूत्र . पा. 2/29 105. योगदृष्टि समुच्चय / गा.५० 106. वही - डॉ. भगवानदास विवेचन गा. 209 107. व्यास योगसूत्र पाद. 2/46 108. योगदृष्टि समुच्चय-डॉ. भगवानदास विवेचन पृ. 209 109. योगदृष्टि की सज्झाय गा. 3/1 110. योगदृष्टि समुच्चय-डॉ. के.के. दिक्षित विवेचन पृ. 49 . 111. आनंदघन सज्झाय गा. 1,2 112. योगदृष्टि समुच्चय गा. 51,52 113. समकित सतसठ बोल की सज्झाय (उ. यशो.कृ.) ढाल 2/2 114. आठ दृष्टि की सज्झाय ढाल 3/2 115. योगदृष्टि समुच्चय गा. 54 से 56 116. वही 15 117. वही गा. 57 118. वही-डॉ. के.के. दिक्षित विवेचन पृ. 143 119. वही-डॉ भगवानदास विवेचन पृ. 255 120. आठ दृष्टि की सज्झाय (उ.यशो.कृत) ढाल 4/2 121. पातञ्जल योगसूत्र पा. 2/29 122. योगदृष्टि समुच्चय टीका गा. 57 आचार्य हरिभद्रसूरि का व्यक्तित्व एवं कृतित्व VIIIIIII VA षष्ठम् अध्याय | 437 ]