________________ गा. 104, 105 पृ. 184, 185 184, 185 गा. 2/2 गा. सर्ग. सर्ग. 117/11, 12 118/5, 6 पाद. 1/1 175 की टिप्पणी 3 से 25 25 से 34 10 पृ. 20, 21 55 279. श्रावक प्रज्ञप्ति 280. ललित विस्तरा टीका तथा पञ्जिका 281. वही 282. कर्मग्रंथ 283. सम्यक्त्व सप्ततिका टीका 284. योगवासिष्ठ उत्पत्तिकरण 285. वही 286. पातञ्जल योगदर्शन भाष्य 287. मराठी में भाषान्तरित दीर्घनिकाय 288. द्वितीय कर्मग्रंथ 289. वही 290. सम्यक्त्व सप्ततिका 291. धर्मसंग्रहणी 292. वही 293. वही 294. उत्तराध्ययन सूत्र 295. तत्त्वार्थ सूत्र 296. श्रावक प्रज्ञप्ति 297. प्रज्ञापना सूत्र टीका 298. कर्मग्रंथ 299. नवतत्त्व 300. पंचम कर्मग्रंथ 301. धर्मसंग्रहणी टीका 302. कर्मग्रंथ 303. सम्यक्त्व सप्ततिका 304. शास्त्रवार्ता समुच्चय टीका 305. धर्मसंग्रहणी 306. योगबिन्दु 307. श्रावक प्रज्ञप्ति 308. योगबिन्दु 309. धर्मसंग्रहणी टीका 310. योगबिन्दु 311. वही 745, 746 747 32/19 से 23 8/15 से 28, 29, 30 23 पृ. 150. 5/26/27 5/28 से 52 580 63, पृ. 225 2 वूलो 67, पृ. 84 780. 327 319, 320, 336, 337 786, 788, पृ. 108, 109 324 338 | आचार्य हरिभद्रसूरि का व्यक्तित्व एवं कृतित्व VIIIIIIIIIIIIIIIIIIA पंचम अध्याय | 388