________________ शुभ संदेश -डॉ. अरुणकुमार दवे द। साध्वी अनेकान्तलता श्रीजी के शोध ग्रंथ “आचार्य श्री हरिभद्र सूरीश्वरजी के दार्शनिक चिन्तन का वैशिष्ट्य" के समग्र अध्ययन का सुअवसर मुझे मिला / उक्त शोध ग्रंथ को साध्वीश्री ने जिस तन्मयता एवं गहन अध्ययनसहित पर्ण किया है उसके लिए शत शत बधाई एवं साधवाद ____दर्शन सरीखे दुरूह विषय को गहराई में उतर कर समझना तथा उसका विश्लेषणविवेचन करना खासकर श्री हरिभद्र सूरीश्वरजी सरीखे प्रखर मनीषि के चिन्तन की थाह पाना बहुत कठिन एवं कष्ट साध्य है। मगर साध्वी डॉ. अनेकान्तलताश्रीजी ने अद्भुत निष्ठा. एवं संकल्पसहित इसमें सफलता प्राप्त की। कष्ट कष्टकों पर अनवरत चलते हुए, संयम सदाचार एवं अहिंसा पथ की राही डॉ. अनेकान्तलताश्रीजी ने आचार्य प्रवर श्री हरिभद्रसूरीश्वरजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अनुशीलन तपस्या समझकर किया। निस्संदेह यह शोध ग्रंथ दर्शन के अध्येताओं को कदम कदम पर प्रकाशपुंज बन राह दिखायेगा। इस शोध ग्रंथ को पढकर श्री हरिभद्रसूरीश्वरजी के दार्शनिक चिन्तन की थाह पाना बहुत कुछ संभव हो जायेगा। शोध निर्देशक डॉ. आनन्द प्रकाशजी त्रिपाठी एवं साध्वीश्री को मार्गदर्शन देनेवाले सभी विद्वज्जनों को अपने प्रयासों की सार्थकता पर गर्व होना स्वाभाविक है / आशा करता हूँ कि साध्वीश्री अपने अध्ययन एवं लेखन को निरन्तर उच्च आयाम देती रहेगी। . एक सफल एवं सार्थक शोध प्रबन्ध के लिए साध्वीश्री को कोटि कोटि शुभकामनाएँ, इस अपेक्षा के साथ कि दो कदम हमने भरे तो क्या किया हे पडा मैदान कोसों का अभी....