________________ श.२, उद्दे.१०, पृ. 307 स्था.२, पद.२, पृ.२० स्या.५, सूत्र. 27, पृ. 13 पृ. 249 प्रथम पद. पृ.५ पृ. 97 स्था.४, उद्दे.१, सू. 252 पृ. 768 पृ. 41 पृ. 212 , وہ یہ کہ دمہ पृ. 41 164. श्री भगवतीजी टीका 165. प्रज्ञापना टीका 166. समवायांग टीका (स्था. हिन्दी अनुवाद) 167. षड्दर्शन समुच्चय टीका 168. जीवाजीवाभिगम टीका 169. अनुयोग मलधारीयवृत्ति 170. स्थानांग टीका 171. आवश्यक हारिभद्रीयवृत्ति 172. अनुयोग हारिभद्रीयवृत्ति 173. तत्त्वार्थ हारिभद्रीय डुपडिका टीका 174. ध्यानशतक हारिभद्रीय टीका 175. पंचास्तिकाय 176. पंचास्तिकायतात्पर्यवृत्ति 177. प्रज्ञापना की प्रस्तावना (अस्तिकाय एक चिन्तन) 178. स्थानांगसूत्र 179. तत्त्वार्थ हारिभद्रीयवृत्ति 180. स्थानांग सूत्र 181. श्री भगवती सूत्र 182. वही 183. प्रज्ञापना सूत्र 184. अनुयोग हारिभद्रीयवृत्ति 185. अनुयोगमलधारीयवृत्ति 186. जीवाजीवाभिगम टीका * 187. समवायांगवृत्ति 188. श्री भगवतीजी सूत्र 189. उत्तराध्ययन सूत्र 190. उत्तराध्ययनबृहट्टीका 191. श्री स्थानांग सूत्र 192. स्थानांगवृत्ति 193. प्रज्ञापना टीका 194. बृहद्र्व्य संग्रह 195. पंचास्तिकाय 196. प्रशमरति स्था.५, उद्दे.३, सू. 169 पृ. 215 स्था.४, उद्दे.१, सू. 99 श.७, उद्दे.१० श.१८, उद्दे.७ प्रथम पद पृ.२० पृ.४१ पृ. 67 स्था.५, उद्दे.३, सूत्र.१७४ श.१३, उद्दे.४ अ. 28/9 पृ. 571 स्था.५, उद्दे.३, सू. 441 पृ. 4571 पृ. 20 गाथा 17,18 गा. 91 से 93 गा. 215 [ आचार्य हरिभद्रसूरि का व्यक्तित्व एवं कृतित्व VIIIIII अद्वितीय अध्याय | 193)