________________ प्रथम अध्याय की सन्दर्भसूची 1. प्रभावक चरित्र श्लोक 6 '2. धर्मसंग्रहणि की प्रस्तावना मे पं. कल्याणविजयजी लिखित 3. प्रभावक चरित्र श्लोक 9,10 4. वही श्लोक 17 5. श्री आवश्यक नियुक्ति श्लोक 421 6. प्रभावक चरित्र श्लोक 29 7. वही श्लोक 76 8. श्रीमद्हरिभद्रसूरि रचितव्यासमलंकृतं चिरन्तनाचार्यकृतं पञ्चसूत्रम् पृ.९ 9. राज-राजेन्द्र स्वाध्याय (पंच सूत्र - 2) पृ. 134 10. प्रभावक चरित्र श्लोक 150 11. वही . श्लोक 168 12. वही श्लोक 180 13. पुरातन प्रबन्ध संग्रह में श्लोक 230 पृ. 105 14. प्रभावक चरित्र श्लोक 185 से 187 15. वही श्लोक 207 16. कहावली ताडपत्रीय पोथी खण्ड 2 पत्र 300 17. वही ताडपत्रीय पोथी खण्ड 2 पत्र 300 18. वही ताडपत्रीय पोथी खण्ड 2 पत्र 300 19. प्रबन्धकोश पृ. 24 20. वही पृ. 25 21. वही . पृ. 26 ' 22. पं. कल्याणविजयजी लिखित धर्मसंग्रहणी की प्रस्तावना में पृ. 13 23. पञ्चाशक टीका पृ. 486 24. पं. कल्याणविजयजी लिखित धर्मसंग्रहणी की प्रस्तावना में 25. षड्दर्शनसमुच्चय तर्क रहस्य बृहद् टीका / 26. प्रबन्ध कोश पृ. 25 27. पं. कल्याणविजयजी लिखित धर्मसंग्रहणी की प्रस्तावना में पृ.७ 28. जयसुंदर विजयजी लिखित शास्त्रवार्ता समुच्चय की प्रस्तावना 29. पं. कल्याणविजयजी लिखित धर्मसंग्रहणी की प्रस्तावना में पृ. 7 30. हरिभद्रसूरि रचित क्षेत्रसमासवृत्ति-जिसका उल्लेख जेसलमेर के बृहत् ज्ञान भण्डार की हस्तलिखित प्रत के अन्तभाग में ये दो गाथा मिलती है। पृ.१ पृ.८ | आचार्य हरिभद्रसूरि का व्यक्तित्व एवं कृतित्व VA प्रथम अध्याय | 77