________________ सभाचमत्कार: 137 कनकवरण काया भली मुखटंको श्रीकार / श्री२८नमिजिन इकवीसमा सेवकजन आधार // 28 // रामानंदन २९सुविधि दिल (रुच्यो) राख्यो न रहे छुपाय / पूरण चंद्रनी ज्योत्स्ना हारी जेहनी काय // 29 // आठ कर्म टालिं करी मुगति पहोता देव / कुंथु३० जिणंद कलानिधि करिई तेहनी सेव // 30 // शीतल उपवन वायरो शीतल गंग कल्लोल / शीतल३१ जिणेसर सेवतां निशिदिन हुई रंगरोल // 31 // चउवीस जिणवर नाम सुंदर सात क्षेत्र सोहामणा / ए कतूहल एम कीधो मन हरखे परखद तणा / श्रीमहिमाप्रभसूरीश तेहना विनेयी 'भावे' कह्यो एक एकथी करी दुगुणा हेमचंद्र हेतई लाउ // 32 // // इति सभाचमत्कार सम्पूर्णं // सुरचंद लिखितम् //