________________ 20. अर्थशाम कौटिल्य 5.6. 5.13.14 28. “स एष बहुश्रुतो भवति लोक वेद वेदांगवित् वाको वाक्येतिहास पुराण कुशल" -गौतम धर्मसूत्र 84-6 29. अ-बास स्मृति 4.45, 1.5 –उशनस स्मृति 3.34 स-मनुस्मृति 3.232 द-याज्ञवल्क्य स्मृति उपोद्घात स्लो. 3.1.45-46, 3.189 30. शुक्रनीति 4.269 एवं 2.178 31. शबरस्वामी जैमिनी सूत्र 10.4.23 32. कुमारिल-तन्त्रवार्तिक जे. 1.3.7 33. शंकराचार्य वे सू. शांकर भाष्य 1.3.28; 2.1.36 34. आचार्य विश्वरूप -याज्ञवल्क्यस्मृति की बालक्रीड़ा टीका-३.१७५ 35. “पुराणेषु वायु प्रलपितम्" कादम्बरी पूर्वभाग (बाणभट्ट) 36. उत्तर कादम्बी राजकुलम् 37. बाणभट्ट-हर्षचरितम् 3.4. 38. वही, परि 3.5. अनु.. 39. सं. पं. थानेशचन्द्र उप्रेति . -"विष्णुपुराणम् प्रथमो भाग की भूमिका से 40. वही 1. वही 42. शंकराचार्य –'वेदान्तसूत्र-भाव' 3.3.32 43. “सारस्वतश्चापि जगाद नष्ट वेदं पुनयन ददृश पूर्वेः व्यासस्तथेनं बहुधा चकार न यं वशिष्ठ कृतवान्नशक्ति'-अश्वघोष “अष्टादशपुराणानां कर्ता सत्यवती सुतः / 44. बलदेव उपाध्याय 'पुराण विमर्श' पृ 399 5. मार्कण्डेयपुराण 45.20.21 / 46. कूर्मपुराण-पूर्वाई, अ 12, श्लो. 264 47. वहीं 4. बलदेव उपाध्याय 'पुराण विमर्श' पृ 399 1. "धर्मशाम प्रमेतारो श्रुतवानुषि' -ब्रह्माण्ड पुराण अ 33 श्लो३१-३५ 50. "कल्याण' (ब्रह्मवैवर्तपुराणांक) पं. श्री रामनारायण दत्त जी शास्त्री का लेख .''पुराण साहित्य तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण' 51. “इतिहासपुराणाभ्यां वेदं समुपवृहयेत्" . -महाभारत आदि. 1.2.68 52. पद पुराण, सृष्टि खंड, 2.50-51 53. “पुराणन्यायमीमांसा धर्मशामांगमिश्रिताः वेदा स्थानानि विद्यानां धर्मस्य चतुर्दशः" -याज्ञवल्क्य स्मृति 54.. "ऋचः सामानि छंदासि पुराणं यजुषासह दिविश्रिताः" -अपर्ववेद 71.7.24 55. “अध्वर्युताइये वे पश्यतो राजयेत्वाह पुराणं वेद / -शतपथ ब्राहमण 56. बृहदारण्यकोपनिषद् 2.4.11 51 / पुराणों में जैन धर्म