________________ koestisesti estivestesti essen . [आदेश्वर प्यारे / (तर्ज-यशोमति मैय्या से ...) गलियों में घूम रहे आदेश्वर प्यारे। जनता ने समझे ना मौन इशारे।। टेर।। बारह मास भये प्रभु मौन व्रत पाले। घर-घर जाये किन्तु भिक्षा वे ना ले। कर्म खपाने प्रभुऽऽ...अभिग्रह धारे, प्रभु थे हमारे।।1।। रूठ गये क्यों सन्यासी लोग कहे सारे। मोतियों के थाल भर-भर प्रभुजी पे वारे। अकिंचन श्रमण वे तोऽऽ ...सभी से हैं न्यारे।।2।। प्रभु श्रेयांसजी ने स्वप्न खूब पाया। कल्पवृक्ष खुद ही चलके उस घर आया। चिंतित देव देवीऽऽ दृश्य ये निहारे, प्रभु थे हमारे।। 3 / / घट-शत अष्ट लेके कृषि एक आया। इक्षुरस से पूरण है ये भाव समझाया। देख के कुँवर बोले, प्रभु ये स्वीकारे, प्रभु थे हमारे।।4।। प्रासुक रस से प्रभु ने पारणा किया है। बूंद भी गिरे ना नीचे ध्यान ये दिया है। 'अहोदानं''अहोदानं' देवता पुकारे, प्रभुथे हमारे।। 5 / / दिन था तृतीया का और धार थी अक्षय। आज तक मनाये हम भी उसी दिन की जय-जय। "उज्जवल' प्रभु 'प्रीति' पार ही उतारे, प्रभुथे हमारे।। 6 / / GESARGoskGeerGeegesGOLGLeges