________________ g er-RDESHer-decordpreAREIRLS sestagestuestoltestue |घर पधारो स्वामी (तर्ज-जरा सामने तो आओ...) मेरे घर में पधारो स्वामी, मेरे भाग्य के खुल गये द्वार हैं। पर क्या दूँ भला भगवान को, यों सोचे श्रेयांस कुमार है।। वर्ष दिवस हो गये प्रभुजी, मौन व्रत से रहते हैं। नहीं कहीं से कुछ लेते हैं, ना कुछ किसी को कहते हैं।। क्या कारण है सोचे नरनार हैं, . क्या लिया अभिग्रह धार हैं...||1|| जिस घर जाते वही प्रेम से भेंट चढ़ाने आता है। वस्त्राभूषण रत्न-जवाहर, पद में धरने लाता है।। पर प्रभु तो बने अनगार हैं उन्हें चाहिये ना ये उपहार हैं...||2|| कल्प-वृक्ष सम धर्मदेव की, सूख रही है क्यों काया? तन टिकता है भोजन से ये जान ईक्षुरस बहराया। कर-पात्र बना के लिया आहार है किया देवों ने जय-जयकार हैं...।। 3 / / प्रथम जिनंद ने संयम लेकर प्रथम बार जब आहार लिया। 'अशोक मुनि' तब प्रथम दानी का देवों ने सत्कार किया।। माने दानी का सभी आभार हैं होता दानी से बड़ा उपकार है...।।4।। rigtige toetsetuntoegevoegevoeg Reserter