________________ eestesgesoestiese gestisesti कोई-कोई कन्या को भी सजाकर लाएँ। सेवा करेगी कहकर भेंट चढ़ाए। अविकारी प्रभु ऐसी भेंट न चाहे रे।।3।। इनको क्या देवे सबको चिंता यही है। राजा को रोटी की कमी कुछ नहीं है। बहराने की विधि उन्हें कौन बतावेरे।।4।। एक वर्ष तक प्रभु फिरे-द्वारे-द्वारे। धीर वीर प्रसन्न वदन मौन व्रत धारे। धन्य प्रभु तपधारी कर्म खपावे रे।।5।। అమల అఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅఅ vesties toestestuesit este अन्तराय टूटी, मन सभी का ही हर्षा / देवों ने की पुष्प रत्नों की वर्षा / श्रेयांसकुमार इक्षुरस बहरावे रे।।6।। आज वही अक्षय तृतीया है आई। वर्षीतप वालों को देने बधाई। ..'केवलमुनि' सभी हम गुण आज गावे रे।।7।। सबसे बढ़कर नेम है। . नेम से भी बढ़कर प्रेम है, जिस घर में न नेम न प्रेम है, उस घर न कुशलक्षेम है। estiloesoestet