________________ Leget beste gemeenten ओलम्भा मैं देऊं कठालग , पाछों क्यूँ नहीं बोले रे। दुःख जननी रो देख आदेश्वर हिवड़ो तोले रे।। पर अनित्य भावना भाई माता, निज आतम ने तारी रे। EY केवल पामी मोक्ष सिधाया, वंदना म्हारी रे। मुगति रा दरवाजा खोल्या, मोरादेवी माता रे। काल असंख्य रह्या उघाड़ा, जंबु जड़ गया ताला रे|| . र साल बहोत्तर तीरथ 'ओसिया' घेवर प्रभु गुण गाया रे। सुरत मोहनी प्रथम जिनंद की, प्रणमुं पाया रे।। ज ऋषभदेव प्रभु (तर्ज-छुप गया कोई रे...) ऋषभदेव प्रभु गोचरी जावे रे, गोचरी जावे कोई नहीं आहार बहरावे।। टेर।। sestuestsetugestitueettoestest युगलियाँ युग जब विलय हुआ था। धर्म कर्म युग का उदय हुआ था। केवलज्ञानी बिना धर्म कौन समझावे रे|1| हाथी सजाएँ, कई घोड़े सजाएँ। थालियों में हीरे मोती भर-भर लाएँ। प्रभु को बहराएँ प्रभु देख, फिर जावे रे ||2||