________________ Giuessegories शांत किया।' प्रजाजनों! इसके साथ एक और महत्त्वपूर्ण रहस्य को मैं अनावृत्त कर देना चाहता हूँ। सभी सोमप्रभ राजा की ओर टकटकी लगाकर देखने लगे। उन्होंने कहना प्रारम्भ किया गतरात्रि श्रेयांसकुमार ने, मैंने व सुबुद्धि श्रेष्ठि ने एक ही है। शुभ घटना की ओर संकेत करने वाले तीन स्वप्न देखे / हम तीनों नित्यक्रम से निवृत्त होकर सवेरे से ही इन स्वप्नों के सम्बन्ध में 3 विचार कर रहे थे। इन तीनों स्वप्नों का सम्बन्ध श्रेयांसकुमार से ही था। मेरे आत्मज श्रेयांस ने स्वप्न देखा, "एक श्यामल बने हुए र स्वर्णगिरि को वह दुग्ध से सिंचित कर रहा है।" मैंने जो स्वप्न देखा वह भी श्रेयांस से ही सम्बंधित था2) "चारों तरफ से शत्रुओं से घिरे हुये राजा को श्रेयांस की सहायता पर से विजयश्री प्राप्त हुई" तथा सुबुद्धि श्रेष्ठि ने जो स्वप्न देखा वह भी उपर्युक्त दोनों स्वप्नों की भाँति श्रेयांस से जुड़ा हुआ था। उन्होंने ) देखा, "सूर्य से निःसृत सहस्त्र किरणों को श्रेयांसकुमार ने पुनः सूर्य में आरोपित किया, जिससे सूर्य पहले से भी अधिक तेजस्वी * होकर चमकने लगा।" प्रिय प्रजाजनों! हम राजसभा में समुपस्थित होकर विचार कर ही रहे थे कि-"आज श्रेयांसकुमार के द्वारा कोई शुभ कार्य 1) होगा। तभी राजमार्ग से गुजरते हुये प्रभु ऋषभदेव को श्रेयांसकुमार ने रोककर इक्षरस बहराया / एक वर्ष से निराहारी प्रभु का आज र पारणा हुआ, अतः हम तीनों ने जो स्वप्न देखे वे पूर्णतया सार्थक हुए / तपतेज से दीप्त स्वर्णगिरी के सदृश प्रभु का श्रेयांस ने इक्षुरस से सिंचन किया / इतने दिनों से प्रभु क्षुधा तृषा आदि सैकड़ों परिषहरूपी शत्रु सेना से आक्रांत थे, उनका श्रेयांस ने इक्षुरस का पान कराकर पराभव किया तथा सूर्य के समान तेजस्वी प्रभु 99999999999 toestestuestosterostekoetoetsen