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________________ muesto geet gegen 2 कालान्तर में केवलज्ञान से अधिक सुशोभित होंगे।" सज्जनों! शुभ कार्यों की सूचना हमें प्रकृति से पहले ही मिल जाती है। अतः सुकर्तव्यों में रुचि को बढ़ाते हुये प्रभु द्वारा ॐ बताये गये मार्ग पर चलकर आत्भकल्याण करना ही श्रेयस्कर है। का आज सभी ने अपने जीवन का सही महत्त्व समझा / अतः उनके हर्ष का कोई पारावार नहीं था। सभी अपने जीवन की इन घड़ियों को सार्थक समझने लगे। श्रेयांसकुमार जन-जन के श्रद्धा केन्द्र व प्रियपात्र हो गये। धन्य हैं, कृपासिन्धु, महातपस्वी भगवान् ऋषभदेव और धन्य है प्रथम सुपात्र दानी महाभाग्यवान श्रेयांसकुमार। इस तरह इक्षुरस से प्रभु के पारणे की महिमा स्थान5) स्थान पर, गाँव-गाँव में, शहर-शहर में यावत् अखिल विश्व में श्री गाई जाने लगी। इस महिमा गान से हजारों के पाप धुल गये। और लाखों करोड़ों के कार्य सिद्ध हो गये। यह पवित्र दिन अक्षय व अनंत सुख प्रदान करने वाला है, अतः आज करोड़ों वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी इस दिन को 'अक्षय तृतीया' या आखा तीज' के नाम से पहचाना जाता है। प्रभु ऋषभदेव व श्रेयांसकुमार के साथ इस दिन ने भी 'अमर कीर्ति' प्राप्त की। इस अक्षय तृतीया की महिमा को पढ़कर या सुनकर अनेकों ने अपना आत्मोद्धार किया है और अनेक भव्यात्माएँ आत्मोद्धार करेंगी। और सभी श्रेष्ठ कार्यों के लिए यह दिन परम पवित्र माना जाता है और सदाकाल इसकी पवित्रता अखंडित रहेगी। Locations toestetiese toestellet
SR No.004425
Book TitleRushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji
PublisherMahavir Prakashan
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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