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________________ festette er पालते हैं ! आपस में लूटमार की तो कोई कल्पना तक नहीं कर (6 सकता है / माताएँ संतान का पालन पोषण अच्छी तरह से करती हैं, पिता पितृधर्म को समझने लगे हैं। पति-पत्नी भी परस्पर प्रेम व 1) स्नेह से काम करते हैं। ‘संसार की सुव्यवस्था को देखकर मुझे आत्मतोष है। श्री ऋषभदेव की विचार श्रृंखला आगे बढ़ती है।' / इहलौकिक जीवन को सुखी बनाने के लौकिक कर्त्तव्य पूर्ण से हो चुके हैं, अब पारलौकिक जीवन को सुखी बनाने के लिए संसार 5 को धर्म मार्ग पर जोड़ने के लिए धर्म-तीर्थ प्रवर्तन की अत्यन्त र आवश्यकता है। मेरी आयुष्य के 20 लाख पूर्व युवराजपने में ही है। बीत गये। 63 लाख पूर्व राज्य व्यवस्था संभालने में लग गये। अब धर्म स्थापनार्थ राज्य विसर्जन का समय आ गया है। इन लोगों को संसारासक्ति से विमुख करके धर्म मार्ग पर जोड़ने की जरूरत है। सांसारिक दुःखों से छुटकारा पाने के लिए प्राणी-जगत अनादिकाल से छटपटा रहा है, लेकिन दुःखों से छुटकारा पाने का सही ज्ञान उसे नहीं है। सम्यक् भावों का उदय, सम्यक् दृष्टाओं के * मार्ग का अनुसरण करने पर ही होगा। GQ2>GorgeoussagessagessesGALRAGOLD
SR No.004425
Book TitleRushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji
PublisherMahavir Prakashan
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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