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________________ sex90SAROORAN KGLEGALERGREGee best westeret beste gestuen "वैराग्यमेवाभयम्'-'वैराग्यमेवाभयम्' अब धर्म-तीर्थ प्रवर्तन की आवश्यकता है। लोगों को व्यवहार र विषयक समस्त विद्याओं का ज्ञान हो गया है। प्रथम कुम्भकार-शिल्प से लेकर मकान बनाना, चित्र कर्म करना आदि कलाओं का सभी को यथोचित ज्ञान हो गया है। संसार की सुव्यवस्था के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद नीतियों का प्रचार-प्रसार भी अच्छी तरह से हो गया है। र मेरे दोनों पुत्र भरत और बाहुबली बहत्तर कलाओं के 5) पारगामी हो गए हैं ब्राह्मी और सुंदरी भी चौंसठ कलाओं में प्रवीणा (6 1) बन गई हैं। 98 पुत्र भी 72 कलाओं के साथ असि, मसि, कृषि र विद्या के पारगामी बन गए हैं। मेरा ज्येष्ठ पुत्र,भरत इस अवसर्पिणी ॐ काल का प्रथम चक्री बनने का पुण्य साथ में लेकर आया है। तो र महांबली बाहुबली हाथी, घोड़े, स्त्री-पुरूष के लक्षण जानने में है। र पारंगत हो गया है। सुपुत्री ब्राह्मी को अठारह लिपियों का तथा 4 र सुन्दरी को गणित विद्या का ज्ञान परिपूर्ण है। उग्र, भोग राजन्य व क्षत्रिय कुलों की रचना भी व्यवस्थित हो गई है। दंडनीति से लोग ( अच्छी तरह से परिचित हो गये हैं। मेरे द्वारा प्रवर्तित व्यवहार ज्ञान से लोगों का जीवन अच्छा ( चल रहा है। कृषक समुदाय अथक परिश्रम से खाद्य सामग्री ( Ma उत्पन्न करता है। योग्य भाग अपने पास रखकर सभी के जीवन के धारण में सहायक बनता है, ग्वाले पशुओं को पूर्ण सद्भाव से 907 GRLDREGOLGenerGeegeeak 9 வைகை
SR No.004425
Book TitleRushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji
PublisherMahavir Prakashan
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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