________________ u ses teisestagestuen S) हुआ। जैसे दीपक में प्रथम लौ समाप्त होती है और तत्क्षण दूसरी है 1) लौ उत्पन्न हो जाती है। इसका आभास सामान्य दर्शकों को नहीं rah होता। फिर भी जब तक दीपक में तेल विद्यमान है, तब तक शी उत्पत्ति-विलय, विलय-उत्पत्ति का क्रम निरन्तर चलता रहता है। और इसी तरह जीवन दीप में भी जब तक आयुष्य का तेल विद्यमान है, तब तक इसका प्रकाश जनजीवन को आलोकित कर रहा है। आयुष्य का तेल कब समाप्त हो जायेगा कहा नहीं जा सकता। एकाएक जागृत होते हुए - “फिर अहो!" ऐसी क्रीडाएँ और ऐसे मनोरम नृत्य तो पिछले अनेक जन्मों में मैनें कई बार देखे हैं। यह Kii उन्हीं पूर्वानुभूत संस्कारों का क्षणिक सुखाभास है। अहा! नाशवान श्री सुखों में मग्न रहने वाले प्राणियों को धिक्कार है। सांसारिक सुखों र की प्राप्ति हेतु राग, द्वेष व मोह से ग्रसित प्राणियों का जन्म रात्रिवत् व्यर्थ ही चला जाता है। काम भोगों में आसक्त प्राणी कषाय जल से आपूरित कूप हर में डूबे रहते हैं, अपने आत्म-धन से वंचित रहकर पौद्गलिक र प्रपंचों में उलझे हुए प्राणियों को इस भव परभव यावत् सैकड़ों भवों 5 तक भी स्वतन्त्र सुखों का अनुभव नहीं हो पाता है। . अहा! अनेकानेक पराधीनताओं की बेड़ियों से जकड़े हुए 6) भयाकुल प्राणियों को इधर-उधर भागते हुए देखकर मेरा हृदय कांप रहा है। कहाँ सुख है? निर्भयता का मार्ग कौन सा है? इन्हें नहीं मालूम। श्रीggesegessegeseeGREGeegeeaseDicts