SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दक्षिण वायु, उत्तर वायु, उर्ध्व वायु, उधो वायु, तिर्यक् वायु, विदिशा की वायु, वातमण्डली, उत्कलिकावात (बहुत-सी तरंगों से मिश्रित वायु), मण्डलिकावात (मण्डलाकार वायु), गुंजावात (गूंजती हुई वायु), झंझावात (वृटि-सहित), संवर्तक वायु, तनुवात, शुद्धवात (18) / वनस्पति जीवन के प्रकार हैं- वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लता, वल्ली, पर्वग (पर्व वाले), तृण, वलय (केला आदि, जिनकी छाल गोलाकार हो), हरित, औषधि, जलरूह (जल में पैदा होने वाली वनस्पति), कुहणा (भूमिस्फोट), (22) / . वृक्ष दो प्रकार के होते हैं - एक बीज वाले व अनेक बीज वाले। एक बीज वालों में आम, जामुन, कोशाम्र (जंगली आम), शाल, अंगोल (पिश्ते का पेड़), पीलु, सेलु (श्लेष्मातक-लिसोड़ा), सल्लको, मोचको, मालुक, बकुल (मोलसिरी), पलाश (कंसू या टूसू), करंज (करिंजा), पुत्रंजीवक (जियापीता), अरिष्ट (अरीठा), विभीतक (बहेड़ा), हरितक (हरड़ा), भिलावा, उंबेभरिका, क्षीरिणी, धातकी (धाय), प्रियाल, पूर्तिर्निबकरंज, सुहा (श्लक्ष्णा), सीसम, असन (बीजक), पुन्नाग (नागकेसर), नागवृक्ष, श्रावर्णी, अशोक (31-32) / अनेक बीजवाले वृक्षों में अस्थिक, तिन्दुक (तेंदू), कपित्थक (कैथ), अम्बांडक, मातृतिंग (बिजोरा), बिल्व (बेल), आम्रातक (आंवला), फणस (कटहल), दाडिम, अश्वत्थ (पीपल), उदुम्ब, वट, न्यग्रोध, नन्दिवृक्ष, पीपल, सयरी (सतावरी), प्लक्ष, काकोदुम्बरी (धनिया, पाइअसद्दमहण्णव), देवदाली, तिलक, लकुच (एक प्रकार का कटहल), छत्रोध, शिरीष, सप्तवर्ण, दधिपर्ण, लोध्र, धाव, चंदन, अर्जुन, नीप, कुटल, कदम्ब' (23) / बाईगणि (बैगन), सत्यकी, थुण्डकी, कच्छी (कपिकचछु केवांचपाइअसद्दमहण्णव), जातुमणा (जपा), रूपी, आढ़की, नीलो, तुलसी, मातुलिंगी, कुस्तुम्बरी (धनिया), पिप्पलिका (पीपल), अलसी, वल्ली काकमाची, वुच्चु (?), पओलकन्दली, पिउव्वा, वतथुल, बदर (बेर), पत्तउर, सीमउर, जवसय (जवासा), निर्गुण्डी, अत्थई, तलउडा, सन, पाण, कासमद्द, अग्धाडग (अपामार्ग, चिचड़ा-पाइअसद्दमहण्णव), श्यामा, सिंदुवार (सम्हाल), करमद्द (करोंदा), अद्दरूसग (अडूसा), करीर, ऐरावण, महिन्थ जाउलग, भालग, परिली, गजमारिणी, कुव्वकारिया, भंडी (मंजीठ), जीवन्ती, (131)
SR No.004423
Book TitlePrakrit Agam evam Jain Granth Sambandhit Aalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy