________________ जैन धर्म एवं दर्शन-109 जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास-105 करता है- 1 आवश्यक और 2 आवश्यक-व्यतिरिक्त। पनः, आवश्यक के सामायिक आदि छह विभाग किये गये हैं। आवश्यक-व्यतिरिक्त को पुनः, कालिक और उत्कालिक- ऐसे दो विभागों में बाँटा गया है। इसमें कालिक के अंतर्गत 31 ग्रंथ और उत्कालिक के अंतर्गत 29 ग्रंथ हैं। इस प्रकार, नन्दीसूत्र में 12 अंगप्रविष्ट, 6 आवश्यक, 31 कालिक और 29 उत्कालिक, कुल 78 ग्रंथ उल्लेखित हैं, इनमें से कुछ वर्तमान में अनुपलब्ध भी हैं। पूर्ण सूची इस प्रकार है श्रुत (आगम)-साहित्य ' (क) अंगप्रविष्ट (ख) अंगबाह्य 1. आचारांग . (क) आवश्यक (ख) आवश्यक व्यतिरिक्त 2. सूत्रकृतांग - 1. सामायिक 3. स्थानांग .. 2. चतुर्विंशतिस्तव 4. समवायांग 3. वन्दना 5. व्याख्याप्रज्ञप्ति (भगवती) 4. प्रतिक्रमण 6. ज्ञाताधर्मकथा 5. कायोत्सर्ग 7. उपासकदशांग 6. प्रत्याख्यान 8. अन्तकृद्दशांग 9. अनुत्तरौपतिकदशाग 10.. प्रश्नव्याकरण (ख) उत्कालिक 12. दृष्टिवाद 1. उत्तराध्ययन 1. दशावैकालिक 2. दशाश्रुत्स्कन्ध 2. कल्पिकाकल्पिक 3. कल्प 3. चुल्लककल्पश्रुत 4. व्यवहार 4. महाकल्पश्रुत . (क) कालिक (क) 11. विपाकसत्र