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________________ जैन धर्म एवं दर्शन-383 जैन ज्ञानमीमांसा-91 वस्तु का बोध करते हैं। ऐसा नहीं होता कि हम, यह महिष नहीं है, अश्व नहीं है आदि निषेध करते हुए 'गाय' शब्द के वाच्यार्थ तक पहुंचते हैं। यद्यपि 'गाय' में अगो निवृत्ति पायी जाती है, किन्तु इसका अर्थ यह भी है कि सब गायों में एक समान धर्म है और इस सादृश्यमूलक धर्म को विधिमूलक प्रक्रिया से ही जाना जा सकता है। __(6) पुनः, शब्द और अर्थ के सम्बन्ध मानने का तात्पर्य यह भी नहीं है कि दोनों एक ही हैं। जैनों ने उन दोनों की भिन्नता को भी स्वीकार किया, लेकिन यह भिन्नतापूर्ण भिन्नता नहीं है, कथंचित् भिन्नता ही है। जैन भी गाय नामक वस्तु और गाय शब्द में तादात्म्य नहीं मानते हैं, वे दोनों में भिन्नता मानकर भी दोनों में वाच्य-वाचक-सम्बन्ध मानते हैं। दो भिन्न एवं स्वतन्त्र वस्तुएँ भी एक-दूसरे से सम्बन्धित हो सकती हैं, जैसे - पति-पत्नी / अतः, शब्द और अर्थ में कथंचित्-अभेद और कथंचित्-भेद मानना ही उचित है और इसी से उनका वाच्य-वाचक-सम्बन्ध सिद्ध होता है। . (7) पुनः, अन्यापोह या अतद्-व्यावृत्ति के बौद्धों के इस सिद्धान्त में अन्योन्याश्रय-दोष भी आता है, क्योंकि 'अगो' के व्यवच्छेद (निषेध) से 'गो' की प्रतिपत्ति होती है और 'गो के व्यवच्छेद (निषेध) से 'अगो' की प्रतिपत्ति होती है और यह दोहरा निषेध विधिरूप ही सिद्ध होता है। अतद् के निषेध से जिसकी उपलब्धि होती है, वह तो विधिरूप ही होगा। (8) पुनः, जिसे 'गों' शब्द का अर्थ ज्ञात न हो, वह 'अगो' शब्द का अर्थ भी नहीं जान पायेगा, अर्थात् व्यवच्छेद (निषेध) के लिए भी विधिरूप ज्ञान आवश्यक है। . (9) 'पुनः, अनेक स्थितियों में शब्दों के एक-दूसरे का परस्पर पूर्ण निषेध करने वाले ऐसे दो व्यावर्तक-वर्ग भी नहीं बन पाते हैं, उदाहरण के लिए - 'सर्व' शब्द से परिहृत 'असर्व' शब्द निरर्थक होता है। (10) यदि सभी शब्दों का वाच्यार्थ अतद्व्यावृत्ति या निषेध ही है, तो ऐसी स्थिति में सभी शब्द निषेध या व्यावृत्ति के वाचक होने से पर्यायवाची हो जाएंगे, क्योंकि उनके वाच्यभूत विषय के तुच्छ स्वभाव होने के कारण उनमें कोई भी भेद नहीं रहेगा। स्वरूपतः एक ही स्वभाव के अर्थात् निषेध
SR No.004419
Book TitleJain Gyan Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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