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________________ जैन धर्म एवं दर्शन-424 जैन ज्ञानमीमांसा-132 क्या तार्किक-ज्ञान निरपेक्ष हो सकता है? प्रथम तो, तार्किक-ज्ञान भी पूरी तरह से इन्द्रिय-संवेदना से निरपेक्ष नहीं होता है, दूसरे, तार्किक-ज्ञान वस्तुतः एक सम्बन्धात्मक-ज्ञान है। बौद्धिक-चिन्तन कारण-कार्य, एक-अनेक, अस्ति-नास्ति आदि विचार-विधाओं से घिरा हुआ है और अपनी इन विधाओं के आधार पर वह सोपक्ष ही होगा। तर्कबुद्धि जब भी किसी वस्तु के स्वरूप का निश्चय कर कोई निर्णय प्रस्तुत करती है, तो वह हमें दो तथ्यों के बीच किसी सम्बन्ध या असम्बन्ध की ही सूचना प्रदान करती है और ऐसा सम्बन्धात्मक-ज्ञान सम्बन्ध–सापेक्ष ही होगा, निरपेक्ष नहीं, क्योंकि सभी सम्बन्ध सापेक्ष होते हैं। मानवीय-ज्ञान की सीमितता एवं सापेक्षता ___ वस्तुतः, वस्तुतत्त्व का यथार्थ एवं पूर्ण ज्ञान सीमित क्षमता वाले मानव के लिए सदैव ही एक जटिल प्रश्न रहा है। अपूर्ण के द्वारा पूर्ण को जानने के समस्त प्रयास आंशिक सत्य के ज्ञान से आगे नहीं जा पाये हैं और जब इस आंशिक सत्य को पूर्ण सत्य मान लिया जाना है, तो वह सत्य सत्य न रहकर असत्य बन जाता है। वस्तुतत्त्व न केवल उतना ही है, जितना . कि हम इसे जान पा रहे हैं, बल्कि वह इससे इतर भी है। मनुष्य की ऐन्द्रिक-ज्ञानक्षमता एवं तर्कबुद्धि इतनी अपूर्ण है कि वह सम्पूर्ण सत्य को एक साथ ग्रहण नहीं कर सकती, अतः साधारण मानव पूर्ण सत्य का साक्षात्कार नहीं कर पाता है। जैन-दृष्टि के अनुसार, सत्य अज्ञेय तो नहीं है, किन्तु बिना पूर्णता को प्राप्त किये उसे पूर्ण रूप से नहीं जाना जा सकता। प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन ने कहा था कि 'हम केवल सापेक्षिक-सत्य को जान सकते हैं, निरपेक्ष- सत्य को तो कोई पूर्ण द्रष्टा ही जान सकेगा और ऐसी स्थिति में, जबकि हमारा समस्त ज्ञान आंशिक, अपूर्ण तथा सापेक्षिक है, हमें यह दावा करने का कोई अधिकार नहीं है कि मेरी दृष्टि ही एक मात्र सत्य है और सत्य मेरे ही पास है। हमारा आंशिक, अपूर्ण और सापेक्षिक-ज्ञान निरपेक्ष-सत्यता का दावा नहीं कर सकता है, अतः ऐसे ज्ञान के लिए हमें ऐसी कथन-पद्धति की योजना करनी होगी, जो कि दूसरों के अनुभूत सत्यों का निषेध नहीं करते हुए
SR No.004419
Book TitleJain Gyan Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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